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सावधान :जामताड़ा के साइबर ठग अब AI का सहारा ले रहे हैं, पुलिस का खुलासा..

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Desk :- अब साइबर अपराधी भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(AI) और चैट जीपीटी  जैसे आधुनिक टेक्नोलॉजी और एप का उपयोग कर रहे हैं. इसका खुलासा झारखंड की जामताड़ा पुलिस ने किया है.
साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी के बाद जारी जांच-पड़ताल के दौरान इन तथ्यों की जानकारी मिली है.
 जामताड़ा एसपी एहतेशाम वकारिब ने बताया कि साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रशिक्षु आइपीएस राघवेंद्र शर्मा के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया. इसमें प्रशिक्षु डीएसपी चंद्रशेखर और इंस्पेक्टर जयंत तिर्की को शामिल किया. टीम ने छह साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया. इसमें महबूब आलम, सैफुद्दीन अंसारी, आरिफ अंसारी, जसीम अंसारी, शेख बेलाल और अजय मंडल शामिल हैं. ये सभी 415 साइबर ठगी के मामले में शामिल रहे हैं. इन लोगों ने 11 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी है.  अभी तक कई अहम जानकारी मिली है और इन जानकारी के आधार पर आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी.

SP के अनुसार इन ठगों ने पहले सॉफ्टवेयर इंजीनियर से ऐप बनाना सीखा. इसके बाद चैट जीपीटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से खुद ही ऐप बनाने के विशेषज्ञ बन गये हैं. अब ये अपना ऐप दूसरे ठगों को 20-25 हजार रुपये में बेच रहे हैं. इन साइबर अपराधियों द्वारा बनाये गये ऐप को डाउनलोड करते ही मोबाइल, लैपटॉप का नियंत्रण उनके पास चला जाता है और वे अपनी मर्जी से कुछ भी करने में सक्षम हो जाते हैं.इससे साइबर अपराधियों को मोबाइल में रखे गये बैंक अकाउंट, पासवर्ड, एटीएम कार्ड का नंबर, सीवीवी नंबर, सहित सभी जानकारी मिल जाती है. इससे वे असली खाता धारक से बगैर कुछ पूछे ही बैंक से पैसा निकालने में सक्षम हो जाते हैं. मोबाइल पर ऐप डाउनलोड होने के बाद साइबर अपराधी उस मोबाइल नंबर का व्हाट्सऐप अपने मोबाइल पर एक्टिवेट कर संपर्क के लोगों को मैसेज भेज कर ऐप डाउनलोड करने का सुझाव देते और दूसरे लोगों के साथ ठगी करते हैं. अपने ऐप के सहारे वेरिफिकेशन के लिए कॉल फॉर्वडिंग को एक्टिवेट कर कॉल अपने मोबाइल पर ट्रांसफर कर लेते हैं और वेरिफिकेशन में सफल हो जाते हैं.

गिरफ्तार सभी अपराधी महज 10वीं-12वीं पास हैं. महबूब, सैफुद्दीन और शेख बेलाल साइबर अपराधियों के बीच डीके बॉस के नाम से जाने जाते हैं. इसी नाम से वह दूसरे साइबर अपराधियों को ठगी के बनाये गये अपने ऐप बेचते हैं. ठगी के लिए बनाये गये ऐप बेचने के लिए इन्होंने वेब पोर्टल भी बना रखा है. विभिन्न तरह का ब्योरा रखने के लिए सर्वर में स्पेस भी खरीद रखा है. पुलिस की गिरफ्त में आये साइबर अपराधी दूसरे साइबर अपराधियों को ऐप बेचने के अलावा 40 प्रतिशत कमीशन पर बैंक अकाउंट की सुविधा देते हैं.



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