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पटना के बाढ़ के स्कूल में बाल मजदूरी..

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Barh:- सरकारी स्कूल में भवन निर्माण के कार्य में बाल मजदूरी करने का मामला सामने आया है. पटना जिले के  बाढ़ प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, मोकिमपुर में बच्चों से बालू ढुलाये जाने का मामला प्रकाश में आया है।
बताते चलें कि जिलाधिकारी के आदेश पर कड़ाके की ठंड को लेकर स्कूलों में शिक्षण कार्य स्थगित कर दिया गया है और बच्चों का स्कूल आना बंद है, पर स्कूल में  कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है, जिसमें नाबालिग बच्चों से बालू और ईंट ढुलाए जा रहे हैं। देखने से सभी बच्चे 12 साल से नीचे के प्रतीत हो रहे हैं और 14 साल के कम उम्र के बच्चों से मजदूरी कराना अपराध है।
बाल मजदूरी अधिनियम 1986 के मुताबिक कम उम्र के बच्चों से किसी भी प्रकार के जोखिम भरे काम को कराने की मनाही है और इनके दोषियों पर कार्रवाई का भी प्रावधान है। नए संशोधित अधिनियम के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों को होटलों, ढाबों, किसी कारखाने या खादान में काम नहीं कराया जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 21 में यह प्रावधान है कि राज्य 6-14 साल के बच्चों के लिए शिक्षा एवं सभी आधारिक संरचना और संसाधन उपलब्ध कराएगा। वहीं अनुच्छेद 39 के खंड 'एफ' बचपन को युवाओं के शोषण एवं परित्याग से बचाने की बात करता है।

बच्चों से जब मजदूरी के बारे में पूछा गया तो बोला गया कि किसी को 100 रुपया देते हैं तो किसी को 50 रुपया तो किसी को 20 रुपया। और इस प्रकार थोड़े से पैसे के लोभ में बच्चों को बरगला लिया जाता है और उससे काम कराया जाता है। इस प्रकार स्कूल के शिक्षकों द्वारा बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। कुछ रुपयों का लोभ देकर इस तरह से काम करवाना कहीं न कहीं शिक्षकों के सामाजिक जिम्मेदारी के ऊपर सवाल खड़ा करता है। इस संबंध ने जब विद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य मिथलेश कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्हें किसी तरह की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा है तो इसकी जांच-पड़ताल करेंगे। हालांकि इस संबंध में बाल श्रम के निषेध के लिए कई कानून बनाए गए हैं। अब सवाल यह खड़ा होता है कि जब शिक्षक ही किसी कानून का उल्लंघन करेंगे, तो वे बच्चों के भविष्य का नवनिर्माण कैसे कर सकते हैं?


बाढ़ से कृष्ण देव की रिपोर्ट

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