Patna :- चुनावी साल में बिहार कांग्रेस को मजबूत करने के लिए आलाकमान लगातार फैसला कर रहा है, यहां के पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को हटा दिया गया है और उनकी जगह दलित समाज से आने वाले औरंगाबाद के कुटुंबा के विधायक राजेश राम को जिम्मेदारी दी गई है. राजेश राम कांग्रेस के प्रति समर्पित नेता माने जाते रहे हैं उनके पिता भी कांग्रेसी थे और वे भी मंत्री रह चुके थे.
बताते चले कि आलाकमान ने सबसे पहले बिहार के प्रभारी के रूप में कृष्ण अल्लावरु की नियुक्ति की थी जिन्होंने बिहार आने के बाद सबसे पहले घोषणा की थी कि अब वे कांग्रेस बिहार में B टीम नहीं बल्कि A टीम के रूप में काम करेगी. उसके बाद कांग्रेस ने बिहार में पदयात्रा की शुरुआत की जिसका नेतृत्व कन्हैया कुमार को दिया गया, और अब पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष भी बदल दिया गया है. माना जाता रहा है कि अखिलेश प्रसाद सिंह लालू प्रसाद यादव के करीबी रहे हैं और इस वजह से कांग्रेस पार्टी बिहार में राजद की पिछलगू के रूप में काम कर रहे थे लेकिन अब कांग्रेस पार्टी मजबूती से काम करेगी इसके लिए उन्होंने कन्हैया कुमार को भी आगे किया है, जिसे राजद और लालू परिवार ज्यादा पसंद नहीं करता है.
कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम की बात करें तो वे औरंगाबाद के कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र से लगातार दो बार विधायक चुने गए हैं. उनके पिता दिलकेश्वर राम भी कांग्रेसी थे और औरंगाबाद के देव विधानसभा से विधायक चुनकर 1980 में मंत्री भी बने थे. सुबह कांग्रेस के वफादार सिपाही माने जाते रहे हैं और विपरीत परिस्थिति में भी उन्होंने कांग्रेस को नहीं छोड़ा एक बार उन्होंने कहा था कि वे सदाकत आश्रम में झाड़ू लगा लेंगे लेकिन पार्टी को नहीं छोड़ेंगे. अब राहुल गांधी ने उन्हें इस समर्पित भाव के लिए बड़ा तोहफा देते हुए बिहार प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है. कांग्रेस की इस रणनीति से कहीं ना कहीं राजद और लालू परिवार दबाव पर होगा क्योंकि अब तक कांग्रेस को अपने इशारों पर हुए बिहार में चलाते रहे हैं लेकिन ऐसा लगता है कि अब शायद ऐसा ना हो.
ऐसा माना जाता है कि केंद्रीय कांग्रेस आलाकमान राजेश राम के जरिए बिहार के बीच फ़ीसदी दलित आबादी को फोकस करना चाहती है, अब इसमें राजेश राम कितना सफल होते हैं यह तो विधानसभा चुनाव के दौरान दिखेगा.