बिहार में अनुसूचित जातियों पर लगातार हमले हो रहे हैं और उनकी हत्याएं की जा रही हैं साथ ही उनके खिलाफ अत्याचार के मामलों में भी तेजी से वृद्धि हुई है । खासकर रविदास पासवान और मुसहर समुदाय के लोगों को प्रताड़ित किए जाने की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं । ताजा मामला मसौढ़ी, पटना में पदस्थापित एस.एन. पासवान के साथ हुई मामले की करें तो उन्हें जातिसूचक गालियां और मारपीट की जाती है जिससे सामाजिक समानता और न्याय पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। संविधान ने जब उन्हें बराबरी का हक़ दिया और आरक्षण जैसा प्रतिनिधित्व दिया तो दलितों में से कुछ की हालत में कुछ सुधार आया । कुछ आर्थिक समृद्धि आई । इस कारण वे भी आत्म-सम्मान और मानवीय जिंदगी जीने लगे तो यह कथित सवर्ण और उच्च जाति का दंभ भरने वाले लोगों को बर्दाश्त नहीं होता। वे दलितों को उसी सदियों पुरानी स्थिति में रखना चाहते हैं। उन्हें गुलाम और स्वयं को मालिक बनाए रखना चाहते हैं। उनसे अपनी गन्दगी साफ़ करवाना और सेवा करवाना चाहते हैं। उन्हें यह नागवार गुजरता है कि कोई दलित उनकी बराबरी करे। यहीं से उन्हें दबाने का सिलसिला शुरू होता है। उनके साथ अन्याय और अत्याचार किए जाते हैं।दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने अत्याचार रोकने के लिए ठोस नीति बनाने,अनुसूचित जाति के व्यक्तियों पर हो रहे अत्याचारों की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति बनाने, जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न के खिलाफ पूरे राज्य में व्यापक जागरूकता अभियान चलाने, पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए नि:शुल्क कानूनी सहायता और सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही बिहार सरकार से हमारी अपील है कि जातिगत भेदभाव और अत्याचार की घटनाओं पर तुरंत रोक लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाने की मांग की है।