पटना: बिहार में भूमि से जुड़े लंबित मामलों को लेकर बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री सह राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री विजय कुमार सिंहा इन दिनों पूरी तरह एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं। एक ओर प्रदेश में चल रही पछुआ हवाओं से ठंड का प्रकोप बढ़ा हुआ है, तो दूसरी ओर उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिंहा के सख्त तेवरों से अधिकारियों के बीच गर्माहट बढ़ती जा रही है। गुरुवार की सुबह पटना के ज्ञान भवन में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से राज्य के सभी जिलों के अंचलाधिकारियों के साथ एक अहम समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक के दौरान मंत्री ने साफ और स्पष्ट शब्दों में कहा कि नीचे से टॉप-10 में शामिल अधिकारियों से स्पष्टीकरण लिया जाएगा और यदि कार्यप्रणाली में सुधार नहीं हुआ तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
बैठक के दौरान मंत्री का सख्त रवैया उस समय देखने को मिला, जब उन्होंने भागलपुर जिले के इस्लामपुर अंचल के अंचलाधिकारी से सीधे सवाल किया। राजस्व एवं भूमि सुधार सचिव ने अंचलाधिकारी के प्रदर्शन का ब्यौरा रखते हुए बताया कि परिमार्जन में 37 प्रतिशत, म्यूटेशन में 53 प्रतिशत, अभियान बसेरा में 47 प्रतिशत, आधार सीडिंग में 77 प्रतिशत, ऑनलाइन एनपीसी में 89 प्रतिशत तथा ई-मैपिंग में मात्र 55 प्रतिशत प्रगति दर्ज की गई है। इन सभी को मिलाकर कुल औसत प्रदर्शन अन्य जिलों की तुलना में काफी पीछे है। सचिव ने इसका कारण स्पष्ट करने को कहा। इस पर अंचलाधिकारी ने जवाब दिया कि उनका क्षेत्र गंगा नदी के किनारे स्थित है, जिससे पिछले तीन महीनों तक बाढ़ की स्थिति बनी रही। बाढ़ के कारण कार्यालय भी प्रभावित हुआ और उसके तुरंत बाद चुनाव कार्य शुरू हो गया, जिससे कार्य प्रभावित हुआ।
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अंचलाधिकारी के इस जवाब पर मंत्री विजय कुमार सिंहा का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उन्होंने कड़े शब्दों में कहा कि क्या बाढ़ के कारण अन्य विभागों का काम भी बंद हो गया था? जब अंचलाधिकारी ने इसका उत्तर “नहीं” में दिया, तो मंत्री ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या सिर्फ अंचल का ही काम बंद हो गया था? मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि नीचे से टॉप-10 में आने वाले सभी अधिकारियों से स्पष्टीकरण लिया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि एक अवसर दिया जाएगा, लेकिन यदि इसके बाद भी सुधार नहीं हुआ तो उन्हें फील्ड में रहने लायक नहीं छोड़ा जाएगा और तत्काल पद से हटा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह कोई पहली समीक्षा नहीं है, बल्कि दोबारा सभी अधिकारियों को बुलाकर पूरे दिन समीक्षा की जाएगी।
मंत्री ने एडीएम और डीसीएलआर को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि इस पूरे मामले की गहन जांच की जाए। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सारा कार्य ऑनलाइन होता है, तो क्या लैपटॉप पानी में चलता है या घर से? जब ऑनलाइन सिस्टम उपलब्ध है, तो कहीं से भी काम किया जा सकता है। अंत में मंत्री विजय कुमार सिंहा ने कड़े लहजे में कहा कि जो अधिकारी काम के लायक नहीं हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। लापरवाही बरतने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसे अधिकारियों को ढूंढ-ढूंढकर कार्रवाई की जाएगी, चाहे वे कहीं भी क्यों न हों। जरूरत पड़ी तो उनकी नौकरी जाएगी और उन्हें जेल भी जाना पड़ेगा।
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