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चिराग ने बढाई NDA की टेंशन या बन गई बात? 45 मिनट बातचीत के बाद निकले प्रधान-तावड़े...

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सीट शेयरिंग का पेंच अभी भी फंसा हुआ है. एक तरफ जहां चिराग पासवान 30 सीटों की मांग पर अड़े हैं तो दूसरी मांझी भी 15 सीटों की मांग कर रहे हैं. हालाँकि भाजपा ने चिराग को 22 सीटों का ऑफर दिया है लेकिन...

Did Chirag increase the tension of NDA or did the matter get
चिराग ने बढाई NDA की टेंशन या बन गई बात? 45 मिनट बातचीत के बाद निकले प्रधान-तावड़े...- फोटो : Darsh News

नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर NDA में सीट शेयरिंग के फार्मूला पर अब तक सहमति नहीं बन पाई है। जदयू-भाजपा ने अपना फार्मूलातो सेट कर लिया लेकिन चिराग-मांझी ने पेंच फंसा दिया है। हालाँकि दोनों नेताओं को मनाने के लिए बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और बिहार संगठन प्रभारी विनोद तावड़े लगातार लगे हुए हैं। सोमवार को केंद्रीय मंत्री ललन सिंह, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात के बाद मंगलवार को दोनों नेता दिल्ली में चिराग पासवान से मुलाकात करने पहुंचे। बताया जा रहा है कि करीब 45 मिनट तक चली बैठक के बावजूद सीट शेयरिंग पर बात नहीं बनी है, चिराग पासवान अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। एक जानकारी के अनुसार भाजपा नेता 22 सीटों का ऑफर लेकर चिराग के पास पहुंचे थे लेकिन चिराग 30 से कम सीट पर मानने के लिए तैयार नहीं हैं। 

चिराग पासवान का कहना है कि लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी का स्ट्राइक रेट 100 प्रतिशत है, इसलिए उन्हें विधानसभा चुनाव में कम से कम 30 सीटें चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने अपने सभी सांसदों के क्षेत्र में दो विधानसभा सीट की भी मांग की है। 45 मिनट तक चली बैठक के बाद भी जब बात नहीं बनी तो भाजपा नेता केंद्रीय नेतृत्व और सहयोगी दलों के साथ बातचीत करने की बात कह वहां से निकल गये। अब उम्मीद जताई जा रही है कि प्रधान और तावड़े चिराग से आज देर रात या कल फिर मुलाकात कर सकते हैं।

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इधर NDA में केंद्रीय नेता जीतन राम मांझी भी अपनी मांग पर अड़े हैं। सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि भाजपा उन्हें 7 से 8 सीट का ऑफर दे रही है लेकिन वे 15 सीटों की मांग पर अड़े हैं। जीतन राम मांझी का कहना है कि उन्हें अपनी पार्टी को मान्यता दिलाने के लिए 7 से 8 विधायकों की जरूरत है। जब उन्हें 15 सीटें मिलेंगी तो वे कम से कम 8 सीट पर जीत हासिल कर सकेंगे लेकिन अगर वे चुनाव ही 8 सीट पर लड़ेंगे तो जरुरी नहीं है कि सारी सीटें जीत ही जाएँ। बता दें कि मांझी ने पहले भी कहा था कि अगर 15 से 20 सीटें उन्हें नहीं मिलती है तो फिर वे 50 से 100 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकते हैं।

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