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डबल इंजीनियर हत्याकांड: गैंगस्टर मुकेश पाठक समेत सभी आरोपी पटना हाई कोर्ट से बरी..

Double engineer murder case: All accused including gangster

Patna - दरभंगा के बेनीपुर में साल 2015 में हुई दो इंजीनियर ब्रजेश कुमार सिंह और मुकेश कुमार सिंह की हत्या मामले में पटना हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है, निचली अदालत से सजा पाए गैंगस्टर मुकेश पाठक समेत सभी दोषियों को पटना हाई कोर्ट ने ठोस सबूत के अभाव में बड़ी कर दिया है. पटना हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब यह सवाल फिर से उठने लगा है कि आखिर दो इंजीनियर की हत्या किसने की..

 बताते चलें कि इंजीनियर ब्रजेश कुमार सिंह और मुकेश कुमार सिंह की हत्या 26 दिसंबर 2015 को दरभंगा के बेनीपुर अनुमंडल के शिवराम गांव में कर दी गयी थी. ये दोनों निजी सड़क निर्माण कंपनी में इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे. हत्या के दौरान यहां आरोप लगा था कि रंगदारी की रकम नहीं देने की वजह से संतोष झा गैंग द्वारा हत्या करवा दी गई थी. हत्या के दौरान गैंगस्टर संतोष झा जेल में बंद था और उसे समय मुकेश पाठक गिरोह के सरगना के रूप में काम कर रहा था. 


डबल मर्डर केस में दरभंगा की एडीजे-5 रुपेश देव की कोर्ट ने मार्च 2018 में फैसला सुनाया था, जिसमें गैंगस्टर संतोष झा व मुकेश पाठक समेत दस लोगों को कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.संतोष झा, मुकेश पाठक, विकास झा, निकेश दुबे, अभिषेक झा व संजय लाल देव पर 20-20 हजार रुपये का आर्थिक दंड व अन्य चार अभियुक्तों पर 15 हजार रूपए का आर्थिक दंड भी लगाया था. कोर्ट ने अंचल झा, टूना झा, सुबोध दुबे व ऋषि झा को सबूत के अभाव में बरी कर दिया था.बाद में गैंगस्टर संतोष झा की अगस्त 2018 में सीतामढ़ी कोर्ट में पेशी के दौरान हत्या कर दी गई थी.


अब इस मामले में हाईकोर्ट ने  गैंगस्टर मुकेश पाठक समेत सभी दोषियों को बरी कर दिया है. इस फैसले के बाद दोनों इंजीनियर के परिवार को गहरा सदमा लगा है. आखिर आज से करीब 9 साल पहले इंजीनियर की हत्या हो गई और अब उसके दोषियों को भी छोड़ दिया गया है. परिवार के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर इन लोगों ने इंजीनियर की हत्या नहीं की तो किसने हत्या की. निचली अदालत से सजा दिलाने वाली पुलिस आखिर हाई कोर्ट  में अपना सबूत ठोस तरीके से क्यों नहीं रख पाई. इससे पहले भी कई हाई प्रोफाइल मामले में ऐसा देखा गया है कि घटना के बाद निचली अदालत से आरोपियों को दोषी ठहराकर  सजा दे दी जाती है लेकिन हाई कोर्ट जाकर पुलिस के वही सबूत सजा दिलाने के लिए कम पड़ जाते हैं. गया का आदित्य सचदेवा हत्याकांड ही ऐसा मामला है, जिसमें तत्कालीन विधान पार्षद और अभी के बेलागंज विधायक मनोरमा देवी के बेटे रॉकी यादव को निचली अदालत से सजा मिल गई थी पर पटना हाई कोर्ट ने उसे सबूत के अभाव में बड़ी कर दिया था और सरकार कुछ नहीं कर पाई थी.

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