Patna : बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ एक बार फिर अपनी सादगी और ज़मीनी जुड़ाव के लिए सुर्खियों में हैं। आमतौर पर उच्च प्रशासनिक पदों पर आसीन अधिकारियों को जनता से एक दूरी बनाकर चलते हुए देखा जाता है, लेकिन डॉ. सिद्धार्थ ने इस छवि को तोड़ते हुए एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश किया। दरअसल, हाल ही में नवादा जिले के एक सरकारी कार्यक्रम से लौटते समय डॉ. सिद्धार्थ की नजर बख्तियारपुर फोरलेन के किनारे एक छोटी सी स्थानीय दुकान पर पड़ी, जहां बिहार की प्रसिद्ध पारंपरिक व्यंजन लिट्टी-चोखा तैयार की जा रही थी। बिना किसी पूर्व सूचना या औपचारिकता के वे अपनी गाड़ी से उतरे और सीधे दुकान पर पहुंच गए। वहां मौजूद लोग यह देख आश्चर्यचकित रह गए कि एक वरिष्ठ अधिकारी लिट्टी सेंकने में खुद हाथ बंटा रहे हैं।
डॉ. सिद्धार्थ ने न केवल लिट्टी-चोखा का स्वाद लिया, बल्कि दुकानदारों से उसकी तैयारी, स्वाद और परंपरा से जुड़ी बातें भी पूछीं। उन्होंने वहां मौजूद लोगों से आत्मीय बातचीत की और सहजता से ग्रामीण जीवन की खुशबू में खुद को घुला मिला दिया। इस घटना ने जहां एक ओर सोशल मीडिया पर लोगों का ध्यान खींचा, वहीं स्थानीय नागरिकों के दिलों को भी छू लिया। लोग इस व्यवहार की सराहना करते नहीं थक रहे हैं। बख्तियारपुर के निवासी रमेश यादव ने कहा, “पहली बार देखा कि कोई अधिकारी यूं सहजता से आम जनता के बीच बैठा हो और लिट्टी सेंक रहा हो। यह दृश्य हमेशा याद रहेगा।”
डॉ. सिद्धार्थ का यह अंदाज़ इस बात का प्रमाण है कि एक प्रशासक यदि मानवीय दृष्टिकोण से अपने कर्तव्यों का निर्वाह करे, तो वह जनता के मन में एक गहरी जगह बना सकता है। उनका यह व्यवहार सिर्फ सादगी का उदाहरण नहीं, बल्कि प्रशासनिक सेवा में संवेदनशीलता और जनसंपर्क की एक सशक्त मिसाल है। बिहार जैसे राज्य में, जहां प्रशासनिक दूरियों की अक्सर आलोचना होती है, डॉ. सिद्धार्थ जैसे अधिकारी उम्मीद की नई किरण बनकर उभरते हैं।