अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) द्वारा पटना के दुजरा इलाके की लोकल कमिटी का पहला सम्मेलन आयोजित की गई। सम्मेलन में सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने भाग लिया।सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में पटना विश्वविद्यालय की इतिहास की प्रोफेसर भारती एस. कुमार ने कहा कि आज महिलाओं को महिला संगठन की ज्यादा जरूरत है ताकि महिला अधिकार की रक्षा की जा सके। उन्होंने कहा कि अपने हक़ अधिकार हासिल करने के लिए भी संगठन से जुड़कर काम करना चाहिए।इतिहास गवाह हैं कि महिलाओं को एक एक अधिकारों के लिए आंदोलन करना पड़ा, यहां तक कि मतदान के अधिकार, पढ़ने के अधिकार, घर से बाहर निकलने का अधिकार आदि बुनियादी अधिकारों के लिए भी औरतों को लम्बा संघर्ष और बड़ी कुर्बानियां देनी पड़ी है।खुले सत्र के इस सम्मेलन को पटना महानगर सचिव कॉ अनुराधा ने सम्बोधित करते हुए कहा कि बिहार की नीतीश सरकार और केंद्र की मोदी सरकार को जमकर कोसा। दोनों ही सरकारों ने महिलाओं के साथ धोखा किया है, महंगाई चरम पर है जिसका सीधा असर महिलाओं पर पड़ रहा है।आज घर चलाना मुश्किल हो गया है,पढ़ाई, दवाई, सब गरीबों के पहुंच से दूर होता जा रहा है बढ़ती मंहगाई को रोकने में विफल डबल ईंजन की सरकारें गरीबों द्वारा मजबूरी में लिए गए माइक्रो फाइनेंस कंपनियों से क़र्ज़ को माफ कराना चाहिए।क्योंकि मंहगाई रोकने की जिम्मेदारी सरकार की है न मंहगाई होती, न कर्ज लेने की मजबूरी होती,क़र्ज़ के बोझ से दबे परिवार आत्महत्या कर रहे हैं। माइक्रो फाइनेंस कंपनियों पर अंकुश नहीं लगाया गया तो ऐपवा की महिलाएं सड़क पर आंदोलन करेंगी।सम्मेलन में शिक्षाविद् ग़ालिब खान, पत्रकार प्रीति प्रभा, विभा गुप्ता, अनु श्री, तनिषा कुमारी, अनिल अंशुमान, प्रमोद यादव प्रोफेसर शोभन चक्रवर्ती, आदि अतिथि उपस्थित रहे।सम्मेलन के उपरांत सत्रह सदस्यीय कार्यकारिणी समिति का चयन किया और कॉमरेड आशा यादव को अपना सचिव एवं कॉमरेड गुलशन खातून को अध्यक्ष के रूप में चुनाव किया।