Desk:- आज देशभर में वट सावित्री पूजा श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जा रही है...गोपालगंज में सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा कर पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना कर रही हैं.
व्रती महिलाएं व्रत रखकर सुबह से ही वट वृक्ष की परिक्रमा करती हुईं नजर आ रहीं हैं...सावित्री-सत्यवान की कथा सुनकर पूरे दिन पूजा आराधना में रहेंगी.
मान्यता है कि इसी दिन सावित्री ने अपने तप, श्रद्धा और बुद्धिमत्ता से यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लिए थे...तभी से यह व्रत अखंड सौभाग्य की कामना के लिए किया जाता है. पूजा स्थल पर भक्ति का विशेष माहौल है।
धार्मिक नगरी गयाजी में सुहागिनों ने अपने पति की लंबी उम्र की कामना के साथ की वट सावित्री व्रत रखा.परम्पराओं व आस्था का निर्वहन करते हुए जिले के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में सोमवार को सुहागिनों ने वट वृक्ष के तने में कच्चा धागा लपेटते हुए परिक्रमा कर अपने पति के लिये लम्बी उम्र की कामना की। भीषण गर्मी को देखते हुए महिलाएं सुबह पौ फटते हीं सोलह श्रृंगार कर पूजन सामग्री ले स्थानीय वट वृक्ष के पास पहुंच गई और पूरे विधि से सावित्री - सत्यवान का कथा वाचन कर यमराज से अपने पतियों की लम्बी उम्र का वरदान मांगा।
जिले के वजीरगंज प्रखंड मुख्यालय परिसर स्थित वट वृक्ष के निकट परिक्रमा के दरम्यान महिलाएं अपने स्मार्ट फोन में तस्वीर लेकर इन लम्हों को सहेजती भी दिखीं। कई नव विवाहिता वैवाहिक चुनरी के साथ एक बार फिर से दुल्हन के रूप में नजर आ रही थी।
क्षेत्र की महिलाएं जिला पार्षद डॉ0 पिंकी कुमारी, शिक्षिका पूजा कुमारी, माया यादव, ज्योत्सना शाही, ममता कुमारी गृहणी पूजा कुमारी, निलम देवी, रीना शर्मा, रानी अनुराधा, आँचल कुमारी सहित अन्य ने बताया कि भक्ति पर अपनी अटूट विश्वास के कारण हीं सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा कर सकी थी, तभी से यह व्रत की शुरूआत हुई है।
पटना जिले के बाढ़ के उमानाथ धाम में हजारों सुहागिन महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इस खास दिन पर महिलाओं ने गंगा नदी में स्नान कर वट वृक्ष की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। वट वृक्ष के तने में धागा लपेटकर परिक्रमा करने के साथ ही महिलाओं ने कथावाचक के पास बैठकर सावित्री-सत्यवान की पौराणिक कथा सुनी।शास्त्रों के अनुसार, वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। मान्यता है कि सावित्री ने इस व्रत के बल पर अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लौटाए थे। इस पर्व का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व महिलाओं के बीच उत्साह और श्रद्धा को और बढ़ाता है।उमानाथ में पूजा के दौरान माहौल भक्ति और उल्लास से भरा रहा। गंगा तट पर स्नान और पूजा के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी, जिससे श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा न हो।
स्थानीय प्रशासन ने भी भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए थे।यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाता है, बल्कि पति-पत्नी के अटूट बंधन और प्रेम का प्रतीक भी है। बाढ़ के इस आयोजन में शामिल महिलाओं ने व्रत और पूजा के माध्यम से अपने परिवार की सुख-शांति की कामना की।
कैमूर जिले में भी वट सावित्री के अवसर पर सुहागिन महिलाओं ने व्रत रख कर वट वृक्ष की पूजा अर्चना विधि विधान से की, व्रतियों ने अपने पति के लम्बी उम्र की कामना के लिए यह व्रत रखा, जिसके संदर्भ में जानकारी देते हुए महाकालेश्वर ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज तिवारी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार यह व्रत सावित्री और सत्यवान की कहानी पर आधारित है। वट सावित्री व्रत के दौरान भारतीयों ने सावित्री और सत्यवान की कथा श्रवण की, बट सावित्री व्रत प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है।
ब्राह्मणों ने सावित्री और सत्यवान की कथा सुनाते हुए उन्हें बताया कि सावित्री एक राजकुमारी थी जिसने सत्यवान नामक राजकुमार से विवाह किया था। सत्यवान अल्पायु थे और उनकी मृत्यु एक वर्ष के भीतर होने वाली थी। लेकिन सावित्री ने अपने पति की मृत्यु को रोकने के लिए यमराज से वरदान मांगा और अपनी पतिव्रता शक्ति से सत्यवान को पुनर्जीवित कर दिया।वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखती हैं,इस व्रत में वट वृक्ष की पूजा की जाती है और वट सावित्री व्रत के अवसर पर जल, फूल, और अन्य पूजन सामग्री अर्पित कीं, वट वृक्ष में लाल कलावा को वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए धागे बांधी
गोपालगंज से शैलेंद्र, गया से मनीष, बाढ़ से कृष्णदेव और कैमूर से प्रमोद की रिपोर्ट