बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महिलाओं से संवाद करने निकल रहे हैं। 'महिला संवाद यात्रा' नाम से शुरू हो रही इस यात्रा पर नीतीश सरकार 226 करोड़ रुपए खर्च करेगी जनवादी महिला समिति और बिहार महिला समाज नीतीश जी से जानना चाहता है कि बिहार में लगातार यौन हिंसा, बलात्कार झेल रही महिलाओं के प्रति उनकी सरकार की क्या योजना है। आंकड़े बताते हैं कि राज्य में हिंसा का ग्राफ बढ़ा है। बलात्कार के बाद हत्या की घटनाओं में इजाफा हुआ है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉड ब्यूरो के मुताबिक 2022 तक महिला हिंसा के 22 हजार मामले दर्ज हुए जिसमें सबसे ज्यादा हत्या और बलात्कार के मामले हैं। जिस राज्य में महिलाओं पर हिंसा की इतनी घटनाएं हो उस राज्य में पिछले कई सालों से बिहार महिला आयोग भंग है। सरकार को अगर महिलाओं की इतनी चिंता होती तो वे महिलाओं पर हो रही हिंसा के खिलाफ मजबूत कदम उठाते। हाल में ही पटना के आसरा गृह में तीन बच्चियों की मौत विषाक्त भोजन से हुई और कई बच्चियां मौत से जूझ रही थी। इसी बिहार में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम जैसी घटनाएं हुई। फिर भी सरकार बच्चियों और महिलाओं के प्रति गंभीर नहीं है। हम सब जानते हैं कि नीतीश कुमार की ये एक आम यात्रा नहीं है। वे महिलाओं की ताकत जानते हैं। वे जानते हैं कि जिस आधी आबादी के बल बूते वे सत्ता में आए वही उन्हें सत्ता से उतार सकती हैं। महिलाएं उनसे पूछ रही है कि जो वादा उन्होंने पिछली यात्रा पर किया था क्या उसे पूरा किया। जीविका दीदी हो या आशा दीदी या रसोईया उनको मांगों को लगातार उन्होंने अनदेखा किया है ।प्रेस कॉन्फ्रेंस में एडवा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामपरी, राज्य सचिव नीलम देवी, बिहार महिला समाज की अध्यक्ष निवेदिता, रिंकू कुमारी के अलावा एडवा के सरिता पांडे, बसंती देवी, नीतू यादव, शिला देवी महिला समाज के अनिता मिश्रा, कृष्णा देवी,सुधा अंबष्ठ मौजूद थी।साथ ही सीपीएम विधायक दल नेता अजय कुमार, विधायक डॉ सत्येन्द्र यादव, सीपीआई विधायक दल के नेता सूर्यकांत पासवान शामिल होकर एकजुटता प्रकट की तथा उनके आंदोलन का समर्थन किया!