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28 नवंबर को बिहार विधानसभा के समक्ष होगा महिलाओं का प्रदर्शन

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जीविका दीदियों की साप्ताहिक जमा राशि की लूट रोकने, समूह की सभी दीदियों को रोजगार, कोविद काल के कर्ज़ों की माफी, माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की मनमानी पर रोक और सभी महिलाओं को 3000रु मासिक सहायता देने की मांग पर बिहार विधानसभा के समक्ष बिहार भर से हजारों महिलाएं  28 नवंबर को प्रदर्शन करेंगी। इस बात की जानकारी अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संगठन की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी एवं राज्य सचिव अनीता सिन्हा ने दी।बिहार भर में ऐपवा के आंदोलन के बाद समूह की महिलाओं के पैसे से ही जीविका कैडर के मानदेय देने के फैसले से सरकार को पीछे हटना पड़ा है लेकिन समूह की सभी महिलाओं के लिए स्वावलंबी बनाने लायक रोजगार प्रदान करने में सरकार विफल है। इसके कारण  धीरे-धीरे समूह की महिलाओं की रुचि खत्म हो रही है और समूह की प्रासंगिकता खत्म हो रही है। दूसरी तरफ माइक्रोफाइनेंस कंपनियों का जाल गांव -गांव में फैलता जा रहा है। माइक्रो फाइनेंस कंपनियों द्वारा दिए गए कर्ज पर सूद लेने की जो सीमा आर बी आई ने बनाई थी, उसे केंद्र की मोदी सरकार ने हटा दिया है। नतीजातन अब  कंपनियां मनमानी सूद वसूलती हैं। साप्ताहिक किस्त जमा करने के लिए घर-घर जाकर महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता है।  इसके कारण बिहार में महिलाओं की आत्महत्या, सामूहिक आत्महत्या, बच्चों को बेचने की घटनाएं हो रही हैं।ऐपवा ने समूह की महिलाओं की बचत राशि से  जीविका कैडर को मानदेय राशि देना बंद किया जाए, समूह की सभी महिलाओं के लिए स्थाई स्वरोजगार का इंतजाम हो और उनके उत्पाद की सरकारी खरीद की गारंटी हो। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का 2022 तक का कर्ज माफ हो। माइक्रो फाइनेंस कंपनियों पर निर्भरता खत्म करने के लिए सरकारी समूहों से महिलाओं को उनकी जरूरत के मुताबिक कर्ज दिया जाए। झारखंड की तरह बिहार में भी सभी महिलाओं को ₹3000 मासिक पेंशन दिया जाए महिलाओं पर अत्याचार बलात्कार की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन को जवाबदेह बनाने की मांग की है।

                     

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