Patna -1967 बैच के चर्चित IPS और बिहार के पूर्व DGP ध्रुव प्रसाद ओझा (डीपी ओझा )का निधन हो गया है वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे.
बताते चलें की डीपी ओझा काफी कड़क स्वभाव के अधिकारी माने जाते रहे हैं राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री काल में 1 फरवरी 2003 6 दिसंबर 2003 तक वे राज्य के डीजीपी रहे थे. सरकार के खिलाफ दिए बयान की वजह से उन्हें डीजीपी के पद से हटा दिया गया था जिसके बाद उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा से रिटायरमेंट से पहले ही इस्तीफा दे दिया था और 2004 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र से भाग्य आजमाया था लेकिन वह बुरी तरह से हार गए थे.
बता दे कि 2003 में राबड़ी देवी की सरकार में वे बिहार के डीजीपी बने थे. राजद सुप्रीमो लालू यादव से इनकी नहीं बनती थी. डीजीपी रहते हुए सिवान के तत्कालीन सांसद शहाबुद्दीन पर कार्रवाई की थी. हत्या, फिरौती, अपहरण जैसे कई आपराधिक मामलों में शहाबुद्दीन को गिरफ्तार करके जेल भेजा था. इस गिरफ्तारी के बाद लालू प्रसाद यादव शहाबुद्दीन से जेल में मिलने गए थे, इसके बाद डीपी ओझा ने परोक्ष रूप से सरकार के खिलाफ बोला था.
डीपी ओझा ने सार्वजनिक मंच से कहा था कि सत्ता लफंगों के हाथों में चली गयी है. सत्ताधारी नेता अपराधियों के पैर पखारने चले जाते हैं. उनके इस बयान के बाद राबड़ी देवी की सरकार ने उन्हें DGP के पद से हटा दिया था. सरकार की इस कार्रवाई से नाराज डीपी ओझा ने भारतीय पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफा देने के बाद वे राजनीति में आए और 2004 के लोकसभा चुनाव में बेगूसराय संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भाग्य आजमाया, पर यहां के वोटरों ने बुरी तरह से हरा दिया जिसके बाद उन्होंने राजनीति से एक तरह से सन्यास ही ले ली.