बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सीट शेयरिंग और उम्मीदवार चयन के साथ ही जोड़ तोड़ का सिलसिला भी काफी तेजी से चल रहा है। RJD में भूमिहार नेताओं के बढ़ते कद को देखते हुए जदयू ने भी बड़ी चाल चला है। जदयू ने जहानाबाद के पूर्व सांसद और सीएम नीतीश के खासमखास रहे अरुण कुमार की पार्टी में वापसी करवाई है। अरुण कुमार को जदयू की सदस्यता कभी उनके विरोधी रहे ललन सिंह ने दिलाई। बताया जा रहा है कि अरुण कुमार की जदयू में वापसी की बात सितंबर में ही हो गई थी लेकिन कुछ वजह से टाल दिया गया था।
पूर्व सांसद अरुण कुमार के साथ उनके पुत्र ऋतुराज कुमार भी जदयू की सदस्यता लिए हैं। ऋतुराज सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हैं और पूर्व में पटना स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव भी लड़ चुके हैं। यह फैसला जहानाबाद के एक और पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के बेटे राहुल शर्मा के RJD में शामिल होने के बाद लिया गया है। RJD की ओर से मिली इस राजनीतिक चुनौती का सामना करने के लिए, JDU ने तुरंत अरुण कुमार को पार्टी में लिया। भूमिहार समाज से आने वाले अरुण कुमार की मगध क्षेत्र में काफी अच्छी राजनीतिक पकड़ है।
अरुण कुमार अपने राजनीतिक करियर में दो बार सांसद रह चुके हैं। पहली बार 1999 में उन्होंने JDU के टिकट पर ही जहानाबाद से जीत दर्ज की थी। उनकी राजनीतिक पकड़ और अनुभव को देखते हुए, उनकी JDU में वापसी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक सोची-समझी रणनीति वाला कदम माना जा रहा है। यह इसलिए भी जरूरी था, क्योंकि तेजस्वी यादव RJD को ‘ए टू जेड’ यानी हर जाति की पार्टी बनाने की कोशिश में लगे हैं। ऐसे में, अरुण कुमार की एंट्री से JDU को RJD की बढ़ती ताकत का मुकाबला करने के लिए मगध क्षेत्र में एक मजबूत आधार मिल गया है।