Desk- लोक आस्था का पर्व छठ को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित है, पर बेगूसराय के मनोज की कहानी किसी आश्चर्य से काम नहीं है, आमतौर पर बिजली का झटका लगने पर व्यक्ति या तो मौत का शिकार हो जाता है या वह कमजोर हो जाता है,पर बेगूसराय के मनोज की जिंदगी छठ के दिन बिजली का झटका लगने के बाद पूरी तरह से बदल गई, वह पहले दिव्यांग था और पैरों से चलने में समर्थ नहीं था लेकिन छठ के दिन बिजली का झटका लगने के बाद उसके पैरों में जान आ गई और अब इस पैर की बदौलत पूरे परिवार को कमाई करके खिला रहा है.
मनोज बेगूसराय जिले के काबिया गांव का निवासी है वह अभी बेंगलुरु में रहकर धागा बनाने की मशीन चलाता है और छठ पर्व पर घर आया हुआ है. छठ त्यौहार का नाम लेते ही उसकी आंखों में खुशी के आंसू आ जाते हैं क्योंकि 4 साल पहले तक वह दिव्यंगता की वजह से कोई भी कार्य करने में सक्षम नहीं था और वह अपने परिवार पर बोझ की तरह था. 4 साल पहले छठ की तैयारी की जा रही थी और घाट पर बिजली कनेक्शन लाने की तैयारी वहां के युवकों द्वारा की जा रही थी मनोज भी वहीं बैठा था और उसके साथियों ने तार पकड़ने की जिम्मेदारी उसे दी. इसी बीच किसी ने दूसरे छोर से तार में करंट दे दी,जिसकी वजह से मनोज के पैर में जोरदार बिजली का झटका लगा और वह बेहोश हो गया, लोगों को लगा कि मनोज की मौत हो गई है जिसके बाद वहां अफरातफरी की स्थिति बन गई लेकिन थोड़ी देर बाद ही मनोज को जब होश आया तो लोगों ने पकड़ कर उसे घर पहुंचा दिया बाद में जब मनोज बिछावन से नीचे उतर रहा था तो उसके दिव्यंगता वाले पैर में ताकत आ गई और वह अपने पैरों पर चलने की कोशिश किया तो वह सफल हो गया और आज वह अपने पैरों पर ही चल रहा है.
मनोज एवं उसके परिवार के साथ ही पूरे इलाके के लोग इसे मां छठी की कृपा मान रहे हैं यही वजह है कि मनोज ने 10 साल तक दंड बैठक कर छठ घाट पहुंचने का संकल्प लिया है और वह इस साल भी बेंगलुरु से अपने घर इस संकल्प को पूरा करने के लिए आया हुआ है.