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गया के केंद्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान हुए शामिल..

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GAYA : बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान दक्षिण केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रांगण में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में शामिल होने के लिए बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे, जहां उन्होंने दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय में 'एकात्म मानववाद के सामाजिक पहलू', दीनदयाल उपाध्याय की विरासत पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित कर किया.

इस मौके पर दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह सहित विश्वविद्यालय से जुड़े कई प्रोफेसर, विद्वान व गणमान्य लोग शामिल हुए. इस मौके पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय सभ्यता लगभग 5 हजार वर्ष पुरानी है और महान भारतीय दार्शनिकों द्वारा दिए गए विचारों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि देश ने मानव जाति को देवत्व की अवधारणा दी है. वास्तव में सदियों पुराने भारतीय दर्शन ने पश्चिमी देशों सहित दुनिया को प्रभावित किया है. यहां तक कि उन्होंने हमारे पुराने ग्रंथों का रूपांतरण कर गहन अध्ययन भी किया है. भारतीय अवधारणा हमें सभी संस्कृतियों और विविधता का सम्मान करना सिखाती है.

उन्होंने कहा कि विश्व में पांच प्रमुख सभ्यताएं हैं, ईरानी, चीनी, रोमन, तुर्क और भारतीय सभ्यताएं, जो अपने-अपने महत्व के लिए जानी जाती हैं. भारतीय सभ्यता की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह ज्ञान और बुद्धि के प्रचार के लिए जानी जाती है इसलिए हमें अपने प्राचीन शास्त्रों में 'मानवता' का वास्तविक अर्थ खोजने की आवश्यकता है और पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने पहली बार राजनीतिक क्षेत्र में इस अवधारणा का प्रयोग किया था. 

अपने व्याख्यान के दौरान राज्यपाल ने भागवत गीता, वेदों के श्लोकों और शंकराचार्य, स्वामी विवेकानंद और भारत के अन्य महान दार्शनिकों के कथनों को उद्धृत किया. उन्होंने कहा कि हमारे संविधान निर्माता प्रस्तावना में इतने सारे बिंदुओं को रखने की बजाय 'एकात्म मानववाद' शब्द का प्रयोग कर सकते थे, जो विविधतापूर्ण और विशाल देश भारत के लिए बहुत उपयुक्त है.

वहीं, इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. राम माधव ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि भारत निःसंदेह एक महान देश है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मंच पर महान विचारकों को पैदा न करने के लिए हमारी आलोचना की जाती है. मेरे लिए पिछली सदी में देश ने दो महान् मौलिक विचारकों को जन्म दिया, एक महात्मा गांधी और दूसरे पंडित दीनदयाल उपाध्याय लेकिन भारत में हम अपनी जड़ों की ओर ध्यान देने के बजाय पश्चिमी दर्शन से ज्यादा प्रभावित हैं इसलिए दुनिया हमारी आलोचना करती है.

इससे पहले सीयूएसबी के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने अपने स्वागत भाषण में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए आभार व्यक्त किया. प्रो. सिंह ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय द्वारा दिए गए एकात्म मानववाद के दर्शन से भारत विश्वगुरु बन सकता है और विकसित भारत 2047 का लक्ष्य हासिल कर सकता है.

धन्यवाद ज्ञापन इंडिया फाउंडेशन के विशिष्ट फेलो डॉ. सोनू त्रिवेदी ने किया. इस मौके पर डॉ. विनय सहस्रबुद्धे, पूर्व सांसद (राज्यसभा), प्रो. सुनैना सिंह, पूर्व कुलपति, नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, डॉ. राम माधव, अध्यक्ष इंडिया फाउंडेशन, प्रो. क्लाउड विष्णु स्पाक, विभागाध्यक्ष, दर्शनशास्त्र, सोरबोन विश्वविद्यालय, अबू धाबी, प्रो. वंदना मिश्रा, जेएनयू, डॉ. गुरु प्रकाश पासवान, सहायक प्रोफेसर, पटना विश्वविद्यालय, प्रो. प्रणव कुमार, डीन, सीयूएसबी, डॉ. सुधांशु कुमार झा, को-ऑर्डिनेटर डॉ. रोहित कुमार आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

गया से मनीष की रिपोर्ट

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