पटना: केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी लोजपा जब दो भागों में बंट गई उस वक्त उनके चाचा पशुपति कुमार पारस केंद्र में मंत्री थे और इस दौरान उनके साथ पार्टी के सभी पांच सांसद भी थे। चिराग बिलकुल ही अकेले पड़ गए थे, NDA में भी उन्हें खास भाव नहीं दिया जा रहा था तब उनका साथ दिया था पटना के उनके एक मित्र ने। उसी मित्र ने चिराग पासवान की पार्टी के लिए रणनीति बनाई और उन्होंने ऐसी रणनीति बनाई कि न चिराग पासवान न सिर्फ केंद्र में मंत्री बन गए बल्कि 100 प्रतिशत स्ट्राइक रेट के साथ 5 लोकसभा सीटों पर उनकी पार्टी ने जीत भी दर्ज की और आज NDA में एक मजबूत सहयोगी दल के रूप में स्थापित हैं।
चिराग पासवान के इस मित्र का नाम है सौरभ पांडेय जिन्होंने 2025 के विधानसभा चुनाव में पार्टी और राजनीति से दुरी बना ली है। सौरभ पांडेय बताते हैं कि उन्होंने ही 2020 में चिराग पासवान को अकेले चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया था जिससे नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा था और JDU बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई थी। इतना ही नहीं उन्होंने चिराग पासवान के लिए प्रमुख नेताओं को एकत्रित भी किया और पार्टी को आगे बढ़ाने में अहम् भूमिका भी निभाई थी। एक जानकारी के अनुसार चिराग की पार्टी लोजपा(रा) के ली उन्होंने बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट का विजन लाया और इसी नारे के साथ चिराग की पार्टी लोजपा(रा) बिहार में स्थापित हो सकी।
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एक जानकारी के अनुसार 2020 में पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद चिराग पासवान ने पार्टी में सक्रिय हुए लेकिन उस वक्त सारा कमान उनके चाचा पशुपति पारस के हाथ में थी। पारस उस वक्त केंद्र में मंत्री भी थे और अचानक उन्होंने पार्टी को अपने नाम करने की कोशिश की। पार्टी के सभी पांच सांसद पारस के साथ चले गए और चिराग अकेले पड़ गये। तब उनका साथ दिया था सौरभ पांडेय ने। सौरभ पांडेय ने पार्टी में अहम् भूमिका निभाई और चिराग का साथ दिया। 2020 विधानसभा चुनाव में जब चिराग की पार्टी को सम्मानजनक सीटें नहीं मिली तो सौरभ पांडेय ने ही उन्हें अकेले चुनाव लड़ने की नसीहत दी और उस वक्त पार्टी ने NDA को अपनी ताकत दिखा दी।
सौरभ पांडेय की रणनीति का ही नतीजा है कि 2024 लोकसभा चुनाव में NDA में उन्हें हिस्सेदारी मिली और पार्टी को 5 सीटें मिली। पार्टी ने बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट के नारे के साथ अच्छी जीत हासिल की। कहा जाता है कि NDA में लोकसभा चुनाव के दौरान भी चिराग को जगह नहीं मिल रही थी तब सौरभ पांडेय ने अलग वैकल्पिक गठबंधन की बात की जिसके बाद मीडिया में जानकारी आते ही रातों रात उन्हें 5 सीट मिल गई और पार्टी ने 100 प्रतिशत का स्ट्राइक रेट दिया। इसके बाद चिराग के दिन लौट आये और वह केंद्र में मंत्री बन गए। लेकिन इस बीच सौरभ पांडेय ने राजनीति से दुरी बना ली और चिराग की पार्टी की कमान संभालने लगे उनके जीजा अरुण भारती।
2025 विधानसभा चुनाव सौरभ पांडेय ने चुनाव और राजनीति से दुरी बना ली है और अरुण भारती ने पार्टी की कमान संभाल ली है। अरुण भारती की रणनीति पर पार्टी ने काम किया और विधानसभा चुनाव में 29 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रही है। सौरभ पांडेय ने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से बताया कि आज उनकी ही रणनीति का कमाल है कि चिराग ने अपने आप को न सिर्फ राजनीति में स्थापित किया बल्कि आज लोग उनकी पार्टी को पसंद भी कर रहे हैं। पार्टी आज भी उनके विजन डॉक्यूमेंट का इस्तेमाल कर रही है जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं।
बता दें कि चिराग पासवान के जीजा अरुण भारती पहले पटना में ऑटोमोबाइल बिजनेस में थे लेकिन जब उनका बिजनेस नहीं चला तो वे 2020 से सक्रिय राजनीति में आ गये। वहीं दूसरी तरफ सौरभ पांडेय राजनीति से दूर होटल और कंस्ट्रक्शन का अपना बिजनेस संभाल रहे हैं।
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