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ना-ना करते हां कैसे कर बैठी? आखिर ऐसा क्या हुआ कि कांग्रेस ने तेजस्वी और सहनी को मान लिया CM और डिप्टी सीएम फेस...

ना-ना करते हां कैसे कर बैठी? आखिर ऐसा क्या हुआ कि कांग्रेस ने तेजस्वी और सहनी को मान लिया CM और डिप्टी सीएम फेस...

How did you say yes while saying no?
ना-ना करते हां कैसे कर बैठी? आखिर ऐसा क्या हुआ कि कांग्रेस ने तेजस्वी और सहनी को मान लिया CM और डिप्- फोटो : Darsh News

पटना: बिहार चुनाव को लेकर महागठबंधन के सभी घटक दलों ने तेजस्वी यादव को सीएम चेहरा के रूप में स्वीकार कर लिया था लेकिन कांग्रेस मानने के लिए तैयार नहीं थी। बीते 13 अक्टूबर 2025 को तेजस्वी यादव ने अपने सरकारी आवास पर महागठबंधन के शीर्ष नेताओं की बैठक बुलाई थी जिसमें सीट शेयरिंग से लेकर सीएम फेस तक तय किया जाना था। इस बीच लेफ्ट दलों ने राजद के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, लेकिन कांग्रेस ने अस्वीकार कर दिया था। तेजस्वी यादव कांग्रेस को 55-सीट देना चाहते थे पर कांग्रेस 61 सीटों की मांग पर अड़ गई। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावारू किसी भी तरह पीछे हटने को तैयार नहीं थे।

दिल्ली में भी नहीं सुलझी गांठ

जब दूसरी-चरण के नॉमिनेशन की अधिसूचना भी जारी हो चुकी थी, मामला पटना से दिल्ली तक जा पहुँचा। तेजस्वी यादव दिल्ली में अपने पिता के साथ थे और उन्होंने गठबंधन में पनपी खींचतान को राहुल गांधी के साथ मिलकर सुलझाने की कोशिश की। लेकिन सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने सीधे मिलने से इनकार कर दिया। बाद में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात हुई, पर मामला वहीं अटका रहा।

सिंबल बांटने से बातचीत पर ब्रेक

दिल्ली से लौटते ही लालू प्रसाद यादव ने राजद के नेताओं के बीच टिकट-सिंबल बांटना शुरू कर दिया। छह से अधिक प्रत्याशियों को पहले ही टिकट मिल चुका था। यह ठीक वैसे ही हुआ जैसे लोकसभा चुनाव में हुआ था, पहले सिंबल, बाद में सीटों का बंटवारा। हालांकि तुरंत बाद तेजस्वी यादव ने इस प्रक्रिया पर ब्रेक लगा दिया और जिन्हें पहले टिकट मिल चुका था, उन्हें वापस लौटाना पड़ा। इस बीच गठबंधन की अन्य पार्टियाँ बिना औपचारिक घोषणा के अपने-अपने उम्मीदवारों की तैयारियों में लग गई थीं।

दस दिन में कांग्रेस बैकफुट पर आई

12 अक्टूबर को लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी तीनों दिल्ली के लिए रवाना हुए। संभावना थी कि वहां राहुल-खड़गे से मुलाकात होगी जिसमें सीट शेयरिंग व अन्य मसलों को सुलझाया जा सके। पर मुलाकात नहीं हो पाई जबकि कांग्रेस की CEC की बैठक चल रही थी। 13 अक्टूबर को पटना लौटकर राजद ने सीट शेयरिंग के नाम पर सिंबल बांटना शुरू कर दिया। इस बीच महागठबंधन में नेताओं से बातचीत ठ़प पड़ गई। 22 अक्टूबर को कांग्रेस नेता अशोक गहलोत राहुल गांधी के प्रतिनिधि के रूप में पटना पहुंचे और लालू से मिले, जिससे खींचतान को सुलझाने का रास्ता खुला। प्रेस कॉन्फ्रेंस में अल्लावरु को साइड में रखा गया था, जो साफ संकेत था कि कांग्रेस-राजद में मोल-तोड़ हुआ है।

लालू की शर्त पर गहलोत कैसे माने?

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार तेजस्वी और अल्लावरु के बीच तनातनी इतनी बढ़ गयी थी कि बातचीत पूरी तरह टूट चुकी थी। इस बीच तेजस्वी यादव ने अपनी पार्टी का 143 सीट पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए, वह संख्या जो खबरो में थी कि राजद 135 सीटों पर संघर्ष करेगी। कांग्रेस ने भी अपनी पसंद की 61-सीटों की सूची जारी की। इस पर तेजस्वी ने साफ कर दिया कि जब तक उन्हें सीएम फेस घोषित नहीं किया जाता, तब तक कांग्रेस से कोई भी बातचीत नहीं होगी।

लालू यादव ने गहलोत से मुलाकात करते समय तय किया कि गठबंधन को आगे बनाए रखने के लिए कांग्रेस को खुलापन दिखाना पड़ेगा, गहलोत ने इस शर्त को स्वीकार कर लिया। इसके बाद तेजस्वी यादव की ओर से सार्वजनिक फोटो जारी की गई जिसमें संदेश था कि राजद-कांग्रेस में समझौता हो चुका है। आखिरकार कांग्रेस को अपनी मांगों को पीछे छोड़कर तैयार होना पड़ा। न केवल तेजस्वी यादव को महागठबंधन का चेहरा माना गया, बल्कि उनके करीबी व बिना विधायक वाले वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री के पद देने के लिए भी तैयार होना पड़ा।

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