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न किसी का मैजिक न आंधी : झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा के साथ उपचुनाव में सत्ताधारी गठबंधन की बल्ले बल्ले..

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झारखंड और महाराष्ट्र  विधानसभा चुनाव के साथ ही 15 राज्यों के 48 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव का रिजल्ट आज घोषित हो गया है. इस चुनाव में  सत्ताधारी दलों को जनता का अपार समर्थन मिला है. महाराष्ट्र में जहां सत्ताधारी NDA गठबंधन को दो तिहाई से ज्यादा का बहुमत मिला है और भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में अभी तक के सबसे ज्यादा 133 सीट जीतने में सफल रही है, और विपक्षी इंडिया गठबंधन का सुपड़ा साफ हो गया है. सत्ता पर काबिज होने का दावा करने वाली कांग्रेस पार्टी 20 सीट से भी नीचे पहुंच गई है.

 झारखंड विधानसभा चुनाव में बना रिकॉर्ड

वही झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में INDIA गठबंधन ने रिकॉर्ड जन समर्थन पाया है.कुल 81 विधानसभा सीट में 56 सीट उनके गठबंधन को मिली है और इस जीत के बाद हेमंत सोरेन सबसे ज्यादा बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का रिकॉर्ड बनाने वाले हैं, वही लगातार जीत मिलने का रिकॉर्ड भी उनके नाम हो गया है. और सरकार बनाने का दावा करने वाली भाजपा 2019 के विधानसभा चुनाव के परिणाम से भी नीचे चली गई है. दोनों राज्यों के चुनाव परिणाम में मुख्य दलों के साथ ही सहयोगी दलों को भी फायदा हुआ है. महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ ही शिवसेना और एनसीपी को भी अपार जन समर्थन मिला है, वहीं झारखंड में  झामुमो की सहयोगी कांग्रेस और राजद को भी काफी लाभ हुआ है. आरजेडी जैसी पार्टी कुल 7 में से 5 सीट जीतने में कामयाब रही है. राजद की जीत में तेजस्वी यादव के साथ ही हेमंत सोरेन  के फैक्टर को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

 उपचुनाव में भी सत्ताधारी गठबंधन को मिला जन समर्थन

वहीं 15 राज्यों की 48 विधानसभा सीटों के परिणाम भी सत्ताधारी दलों के लिए बेहतर साबित हुए हैं. उत्तर प्रदेश में भाजपा गठबंधन ने 9 में से 7 सीट जीतने में कामयाबी हासिल की है, वही बिहार की सभी चारों विधानसभा सीट पर सत्ताधारी एनडीए गठबंधन ने कब्जा जमाया है. पश्चिम बंगाल में सभी सीटों पर सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस को जीत मिली है, वहीं पंजाब के विधानसभा उपचुनाव में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी को बड़ी सफलता मिली है. कर्नाटक राजस्थान समेत अन्य राज्यों में हुए विधानसभा उपचुनाव में भी सत्ताधारी दल को ही ज्यादा जन समर्थन मिला है.

 प्रियंका गांधी ने राहुल गांधी के जीत के रिकॉर्ड को तोड़ा


वही वायनाड लोकसभा क्षेत्र से प्रियंका गांधी ने 5 लाख से भी ज्यादा वोटो से जीत दर्ज की है और उन्होंने अपने भाई राहुल गांधी के जीत के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है.

 किसी नेता का मैजिक नहीं

 अगर इन सभी चुनाव परिणाम का विश्लेषण करें तो  पता चलता है कि कुछ बातें कॉमन है.इन चुनाव में ना तो मोदी जी और बीजेपी का मैजिक चला है, ना ही विपक्षी गठबंधन का,अगर पीएम मोदी का मैजिक होता तो महाराष्ट्र के साथ ही झारखंड में भी जन समर्थन मिलता, वही मोदी सरकार के खिलाफ लोगों का मूड होता तो झारखंड के साथ ही महाराष्ट्र में भी NDA गठबंधन को झटका लगता.इस चुनाव में स्थानीय मुद्दे और कैश के जरिए डायरेक्ट बेनिफिट देने वाले लाभकारी योजनाओं का सबसे ज्यादा लाभ सत्ताधारी गठबंधन को मिला है. महाराष्ट्र में लाडली बहन योजना का लाभ पाने वाली महिलाओं ने सत्ताधारी NDA गठबंधन को बढ़ चढ़कर वोट किया. वहीं झारखंड में मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना का लाभ लेने वाली महिलाओं ने सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन को अपना समर्थन दिया है, जो चुनाव परिणाम में दिखा है .

 हवा हवाई बात करने वाले नेता और पार्टी को झटका

 वहीं इस चुनाव परिणाम के दूसरे मुद्दों की बात करें तो जनता ने हवा हवाई बात करने वाले नेताओं और उनकी पार्टियों को सबक सिखाई है. लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन को अपार जन समर्थन मिला था जिसके बाद इंडिया गठबंधन के नेता और कार्यकर्ताओं की भाषा में अहंकार दिखने लगा था. कांग्रेस और INDIA गठबंधन के नेता और कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर ज्यादा काम नहीं कर रहे थे और लोकसभा चुनाव के परिणाम के आधार पर विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल कर सरकार बनाने का सपना देखने लगे थे. जीत से पहले ही शिवसेना उद्धव गुट और कांग्रेस के नेताओं के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर दावेदारी होने लगी थी, वहीं दूसरी ओर सत्ताधारी एनडीए गठबंधन लोकसभा चुनाव के परिणाम से सबक लेते हुए धरातल पर खुद को मजबूत करने में जुटा था. चुनाव से ठीक पहले लाडली बहन योजना के जरिए महिलाओं को कैश दिया गया, जिसका परिणाम जनता के अपार जन समर्थन के रुप में सत्ताधारी एनडीए गठबंधन को मिला है.

झारखंड में बाहरी मुद्दे हुए हवा हवाई


इसी तरह की स्थिति झारखंड में भी दिखाई पड़ रही थी. भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने झारखंड के स्थानीय नेताओं को साइड कर दिया था और पूरा चुनाव असम के मुख्यमंत्री हेमंता विस्वा शरमा के नेतृत्व में लड़ा जा रहा था, जो झारखंड के जमीनी मुद्दों पर चर्चा करने के बजाय घुसपैठ और अन्य विभाजनकारी मुद्दों को तरजीह दे रहे थे. सत्ताधारी गठबंधन ने हेमंत सोरेन को जेल भेजने के मुद्दे को झारखंड की अस्मिता से जोड़ने की कोशिश की  और वे यहां की जनता को समझाने में कामयाब रहे. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन स्टार प्रचारक के रूप में पूरे राज्य का दौर की और महिलाओं को अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब रही, जबकि भाजपा की तरफ से कोई भी ऐसी महिला नेत्री मैदान में नहीं दिखी, जो महिला वोटरों को अपनी ओर आकर्षित कर सके. झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और कार्यकर्ता लगातार अपने काम और बीजेपी के द्वारा उन्हें और राज्य को बदनाम करने और हेमंत सोरेन को जेल भेजने के मुद्दे को फोकस में रखा, जिसका फायदा चुनाव परिणाम में दिखा और अब तक का सबसे ज्यादा रिकॉर्ड सीट INDIA गठबंधन को मिला है.

 लोकसभा चुनाव का बदला यूपी विधानसभा उपचुनाव में

 वहीं उपचुनाव की बात कर रहे तो लोकसभा चुनाव में अपार जन समर्थन मिलने के बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव की भाषा में भी अहंकार दिखने लगा था, वहीं लोकसभा चुनाव अपेक्षा से कम सीट मिलने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी लगातार धरातल पर उन मुद्दों पर काम करने लगी जिसकी वजह से उन्हें झटका लगा था, इसके साथ ही योगी आदित्यनाथ ने इस उप चुनाव में अपने अधिकारियों का भी भरपूर उपयोग किया जिसका फायदा चुनाव परिणाम में दिखा है. खुलना में से सात सीटों पर भाजपा गठबंधन को जीत मिली है.

 बिहार में राजद का सारा समीकरण ध्वस्त

 अगर बिहार के चार विधानसभा उपचुनाव की चर्चा करें तो यहां भी सत्ताधारी एनडीए गठबंधन ने सभी सीटों पर कब्जा कर लिया है और तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन को बुरी तरह से शिकस्त मिली है. इस चुनाव परिणाम के बाद एनडीए गठबंधन के तीन सीटों में बढ़ोतरी हुई है क्योंकि  कुल चार विधानसभा में तीन सीटों पर इंडिया गठबंधन का कब्जा था और सिर्फ एक सीट एनडीए गठबंधन के पास थी लेकिन अब सभी चार सीटों पर एनडीए को जीत मिली है. यादव और मुस्लिम बहुल आबादी वाले बेलागंज जैसे विधानसभा क्षेत्र में भी राजद को करारी हार का सामना करना पड़ा है. राजद के कई समर्थक अब तेजस्वी यादव पर सवाल उठा रहे हैं और कह रहे हैं कि लालू यादव ने अगड़ा - पिछड़ा और MY समीकरण की राजनीति करके डेढ़ दशक तक बिहार की सत्ता पर शासन किया, तेजस्वी यादव ए टू जेड की बात करने लगे इससे अगड़ा वोट तो उन्हें नहीं ही मिला. पिछड़ा वोट भी उनके हाथ से निकलता हुआ  दिख रहा है. रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की जशु राज पार्टी खुद तो कोई चुनाव नहीं जीत पाए लेकिन कई सीटों पर जीत हार में उसने अहम भूमिका निभाई है.

 पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी को मिला जन समर्थन

 इस विधानसभा उपचुनाव में पश्चिम बंगाल की टीएमसी ने सभी 6 सीटों पर कब्जा कर लिया है और वहां बीजेपी को झटका लगा है.अन्य प्रदेशों के उपचुनाव में भी सत्ताधारी गठबंधन को जनता ने अपना आशीर्वाद दिया है.

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