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संयुक्त किसान मोर्चा ने किया पटना में विरोध प्रदर्शन

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संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर सोमवार को बिहार के सभी जिलों में किसानों का विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। बतादे कि संयुक्त किसान मोर्चा ने 14 दिसंबर 2024 को आयोजित राष्ट्रीय समन्वय समिति की एक तत्काल बैठक में किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की जान बचाने, दिल्ली कूच कर रहे किसानों पर दमन और आंसू गैस के गोले दागने को रोकने, गत दिनों से गौतम बुद्ध नगर की लुक्सर जेल में बंद सभी किसानों को रिहा करने, उन पर हत्या के प्रयास सहित झूठे लगाए गए मामलों को वापस लेने और साजिश के लिए जिम्मेदार पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह और अन्य अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने, राष्ट्रीय कृषि विपणन नीति, डिजिटल कृषि मिशन और राष्ट्रीय सहकारिता नीति को वापस लेने और संघर्ष कर रहे सभी किसान संगठनों के साथ तुरंत चर्चा करने और एमएसपी, ऋण माफी, बिजली के निजीकरण और एलएआरआर अधिनियम 2013 के कार्यान्वयन पर किसानों की लंबे समय से जायज़ लंबित मांगों को लेकर 23 दिसंबर 2024 को राष्ट्रव्यापी जिला स्तरीय विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था। पटना में किसान संगठनों से जुड़े 150 से अधिक किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर से प्रतिवाद मार्च आयोजित किया।जो  पटना स्टेशन होते हुए बुद्ध स्मृति पार्क पहुंचा जहां एक सभा आयोजित किया गया ।सभा में सबसे पहले कृषि विपणन पर प्रस्तावित राष्ट्रीय नीति की प्रतियां जलाई गई। सभा की अध्यक्षता किसान सभा अजय भवन के पटना जिला संयोजक गोपाल शर्मा ने किया और संचालन किसान महासभा के पटना जिला सचिव कृपा नारायण सिंह ने किया। सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि 25 नवम्बर 2024 को भारत सरकार की कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के कृषि विपणन प्रभाग द्वारा जारी “कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा” मसौदा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी समेत किसानों की लंबित मांगों पर कोई चर्चा नहीं करता है। बल्कि डिजिटलीकरण, अनुबंध खेती, और बाजार पर कॉर्पोरेट नियंत्रण को बढावा देने की बात करता है। संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े बिहार के संगठन लम्बे समय से बिहार में एपीएमसी अधिनियम को पुनः बहाल करने और कृषि मंडी को चालू करने की मांग करते आ रहे हैं।डिजिटल कृषि मिशन, राष्ट्रीय सहकारी नीति और अब नई कृषि बाजार नीति की हालिया शुरूआत तीन कृषि कानूनों को पिछले दरवाजे से पुनर्जीवित करने की अनुमति देने के लिए कॉर्पोरेट एजेंडे की रणनीति का हिस्सा है। पिछले तीन वर्षों में खाद्य सब्सिडी में ₹60,470 करोड़ और उर्वरक सब्सिडी में ₹62,445 करोड़ की कटौती खाद्य सुरक्षा और न्युनतम समर्थन मूल्य की मौजूदा व्यवस्था पर लगातार निर्णायक कॉर्पोरेट हमले को दर्शाता है।इस अवसर पर कई संगठनों के प्रमुख नेता भी उपस्थित थे जिसमें क्रांतिकारी किसान यूनियन के मनोज कुमार, किसान महासभा से सुरेश प्रसाद, चंद्रभूषण शर्मा,विजय प्रसाद आदि।

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