Join Us On WhatsApp

भोजपुरी पर उठ रहे सवालों पर कल्पना पटवारी का दो टूक, कहा 'सुधार की जरूरत अपने आंगन से करनी होगी...'

भोजपुरिया संस्कृति की वैश्विक ध्वजवाहक कल्पना पटवारी ने "बिहार कला सम्मान 2023-24" के लिए जताया आभार। कहा - यह सम्मान केवल मेरा नहीं, बल्कि लोककला को अपने जीवन में जीते और बचाए रखने वालों को समर्पित। भोजपुरी पर उठने वाले सवालों पर दो-टूक, 'सुधार की श

Kalpana Patwari's blunt statement on the questions being rai
भोजपुरी पर उठ रहे सवालों पर कल्पना पटवारी का दो टूक, कहा 'सुधार की जरूरत अपने आंगन से करनी होगी...'- फोटो : Darsh News

भोजपुरिया संस्कृति की वैश्विक ध्वजवाहक कल्पना पटवारी ने "बिहार कला सम्मान 2023-24" के लिए जताया आभार। कहा - यह सम्मान केवल मेरा नहीं, बल्कि लोककला को अपने जीवन में जीते और बचाए रखने वालों को समर्पित। भोजपुरी पर उठने वाले सवालों पर दो-टूक, 'सुधार की शुरुआत अपने आंगन से करनी होगी'

पटना: बिहार की समृद्ध लोकसंस्कृति और भोजपुरिया अस्मिता को वैश्विक मंच तक पहुँचाने वाली प्रख्यात लोकगायिका कल्पना पटवारी को बिहार सरकार द्वारा राज्य का सर्वोच्च सम्मान ‘बिहार कला सम्मान 2023-24’ प्रदान किया गया। यह सम्मान कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार की ओर से दिया गया, जो उनकी जीवनभर की साधना और भोजपुरी संगीत के प्रति समर्पण का प्रत्यक्ष प्रमाण है। पटना में आयोजित सम्मान समारोह में बिहार संग्रहालय के वरिष्ठ पदाधिकारी और कला जगत से जुड़े लोग मौजूद रहे। इस अवसर पर भावुक होकर कल्पना पटवारी ने कहा कि मैं बिहार और पूर्वांचल की जनता को प्रणाम करती हूँ। यह सम्मान केवल मेरा नहीं, बल्कि हर उस किसान और आमजन का है जो लोककला को अपने जीवन में जीते और बचाए रखते हैं। यह पुरस्कार मेरे लिए दायित्व है और मैं वचन देती हूँ कि जीवनपर्यंत बिहार की कला-संस्कृति को वैश्विक मंच तक पहुँचाने का प्रयास करती रहूँगी।

कल्पना पटवारी ने बताया कि वे असम की धरती पर भूपेन हजारिका के गीत सुनते हुए बड़ी हुईं, लेकिन अपनी आत्मा को उन्होंने बिहार आकर भिखारी ठाकुर की परंपरा में खोजा। 2006-07 से भिखारी ठाकुर के लोकसंगीत को नई पीढ़ी तक पहुँचाना उनका जुनून बन गया। सम्मान ग्रहण करते हुए उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार उन्हें और बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है। भोजपुरी और बिहार की सांस्कृतिक धारा को आगे ले जाना अब केवल उनका सपना नहीं बल्कि जीवन का मिशन है। कल्पना पटवारी का यह सम्मान बिहार की उस लोकगायन परंपरा की गौरव है, जिसने गाँव-देहात की माटी की खुशबू को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। आपको बता दें कि असम के बड़पेटा सरभोग की बेटी और विश्व स्तर पर "भोजपुरी क्वीन" के नाम से विख्यात कल्पना पटवारी ने भोजपुरी संगीत को गाँव-देहात से निकालकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुँचाया। उनका योगदान केवल गायन तक सीमित नहीं रहा बल्कि उन्होंने लोककला को पुनर्जीवित, संरक्षित और वैश्विक पहचान दिलाने का काम किया।

कल्पना पटवारी का संगीत लोकजीवन की असल कहानियों को स्वर देता है। उनके गीतों में छठ पूजा के पारंपरिक स्वर, बिरहा की वेदना, स्त्रियों की व्यथा-कथा और सूफ़ी-भोजपुरी का अनूठा संगम सब कुछ देखने को मिलता है। उनकी आवाज़ ने बिहार की सांस्कृतिक जड़ों को नई ऊँचाई दी है। उनकी महाकुंभ पर आधारित गंगास्नान (लुई बैंक्स सहयोग) प्रोजेक्ट को एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में भी शामिल किया गया है, जिससे युवाओं को भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धारा से जोड़ा जा सके। वहीं, “सौर ऊर्जा – छठ गीत” – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सौर ऊर्जा अभियान से प्रेरित यह गीत छठ महापर्व और स्वच्छ ऊर्जा को जोड़ने का एक अभिनव प्रयास है। इसका एक AI-एनिमेटेड संस्करण भी रिलीज किया गया।

यह भी पढ़ें   -   कल उत्तर बिहार में होगा सियासी रण, प्रियंका-अमित शाह चंपारण की धरती पर साधेंगे वोट बैंक...

भोजपुरी पर उठने वाले सवालों पर कल्पना पटवारी की दो-टूक, कहा – “सुधार की शुरुआत अपने आंगन से करनी होगी”

बिहार सरकार के ‘बिहार कला सम्मान 2023-24’ से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोकगायिका कल्पना पटवारी ने भोजपुरी गानों पर उठ रहे सवालों पर स्पष्ट कहा कि बदलाव की जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं, बल्कि समाज की भी है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सरकार के साथ-साथ आम नागरिक भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। कल्पना पटवारी ने कहा कि सबसे पहले सुधार की शुरुआत हमें अपने घर और आंगन से करनी होगी। आजकल गली-मोहल्लों में आयोजित होने वाले कई स्थानीय आयोजनों में अशोभनीय और अभद्र भाषा के गीत गाए जाते हैं, जो चिंता का विषय है। यूट्यूब जैसे प्लेटफार्म पर ऐसे गीत तुरंत लोगों के सामने आ जाते हैं, इसलिए जागरूकता और आत्मनियंत्रण बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा, “सरकार से उम्मीद करने से पहले हमें खुद पहल करनी चाहिए। समस्या सिर्फ चर्चा का नहीं, बल्कि त्वरित अमल का विषय है।”

उन्होंने भोजपुरी बोलने वालों की बड़ी संख्या का जिक्र करते हुए कहा कि 22 करोड़ से अधिक भोजपुरी भाषी लोग हैं, लेकिन कुछ चुनिंदा कलाकारों की वजह से पूरी संस्कृति पर सवाल खड़े हो जाते हैं। यह समाज के लिए आत्ममंथन का विषय है। कल्पना पटवारी ने महान लोकनायक करपुरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि वे पूरी तरह इसके हकदार थे। लेकिन, उन्होंने अफसोस जताया कि लोकगायक भिखारी ठाकुर को अब तक यह सम्मान नहीं मिला। उन्होंने कहा कि राजनीति को संस्कृति पर हावी नहीं होना चाहिए, बल्कि संस्कृति को भी समान महत्व मिलना चाहिए। अपने वक्तव्य में उन्होंने यह भी अपील की कि मुख्यधारा के कलाकारों को चाहिए कि वे अपनी कला से समाज को सकारात्मक संदेश दें और अपने-अपने जिलों के गौरवशाली पात्रों, नायकों और नायिकाओं को गीतों के माध्यम से जीवित रखें। उन्होंने कहा, “यदि कलाकार अपने इलाके के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नायकों को गीतों में जगह देंगे, तो समाज भी उन्हें सम्मानित करेगा।”

यह भी पढ़ें   -   ज्ञान भवन में मखाना महोत्सव -2025: संस्कृति और नवाचार का संगम, बिहार की संस्कृति से विश्व बाजार तक का सफर


Scan and join

darsh news whats app qr
Join Us On WhatsApp