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लालू की बेटी ने CM नीतीश से की ये खास अपील, पिता का घर छोड़ने के बाद 'सम्मान और अधिकार...'

विधानसभा चुनाव के बाद पारिवारिक मनमुटाव की वजह से लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने परिवार से अलग होने का निर्णय लिया था. वह अपने पिता के घर रोते हुए दिल्ली चली गई थी. अब उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर सीएम नीतीश से...

Lalu's daughter made this special appeal to CM Nitish.
लालू की बेटी ने CM नीतीश से की ये खास अपील, पिता का घर छोड़ने के बाद 'सम्मान और अधिकार...'- फोटो : Darsh News

पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद राजद सुप्रीमो लालू यादव के परिवार में ही टूट होने लगी और उनकी बेटी रोहिणी आचार्य परिवार और राजनीति से अलग होने की घोषणा करते हुए माता-पिता के घर से निकल गई थी। रोहिणी आचार्य ने इस दौरान अपने भाई और उनके कुछ सहयोगियों के ऊपर कई गंभीर आरोप भी लगाये थे लेकिन अब उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से न्याय की मांग की है।

रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये सीएम नीतीश से मांग की है कि बिहार में बेटियों को मायके में मान सम्मान दिलाना सुनिश्चित करें। रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पोस्ट में महिला सशक्तिकरण की दिशा में शुरू किये गए योजनाओं का जिक्र करते हुए लिखा कि ये सभी योजनाएं व्यवस्थागत मुद्दों को हल करने के लिए अपर्याप्त हैं। सरकार बेटियों को समान अधिकार दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए।

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उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि 'लड़कियों को 10,000 रुपये देना या साइकिलें बांटना, भले ही नेक इरादे से किया गया हो, लेकिन ये भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण में बाधा डालने वाले व्यवस्थागत मुद्दों को हल करने के मद्देनजर अपर्याप्त है। सरकार और समाज का यह प्रथम दायित्व होना चाहिए कि वह बेटियों के समान अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए, खासकर सामाजिक और पारिवारिक उदासीनता के मद्देनजर l बिहार में गहरी जड़ें जमा चुकी पितृसत्तात्मक मानसिकता सामाजिक और राजनीतिक, दोनों क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता पैदा करती है। प्रत्येक बेटी को इस आश्वासन के साथ बड़े होने का अधिकार है कि उसका मायका एक ऐसा सुरक्षित स्थान है ,जहाँ वह बिना किसी डर, अपराधबोध, शर्म या किसी को कोई स्पष्टीकरण दिए बिना लौट सकती है। इस उपाय को लागू करना केवल एक प्रशासनिक दायित्व नहीं है, बल्कि अनगिनत महिलाओं को भविष्य में होने वाले शोषण और उत्पीड़न से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा ।

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