आधार सत्यापन सह सुदृढ़ डिजिटल सुशासन विषय पर आयोजित कार्यशाला में पहुंचे विकास आयुक्त डॉ एस सिद्धार्थ। कहा 'डिजिटल सुशासन के लिए आधार सत्यापन ही सबसे प्रमुख माध्यम। सही आधार नंबर से कई समस्याओं का एक साथ हो सकता है निदान। सूचना प्रावैधिकी विभाग, यूआईडीएआई और बिहार सरकार के विभिन्न विभागों को अधिकारियों ने की कार्यशाला में शिरकत
पटना: बिहार के विकास आयुक्त डॉ एस सिद्धार्थ ने कहा कि सुदृढ़ डिजिटल गवर्नेंस के लिए “आधार” सबसे प्रमुख माध्यम है। इससे लोगों को न सिर्फ विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उपलब्ध कराया जा सकता है, बल्कि योग्य लाभार्थियों की सही पहचान सुनिश्चित हो सकती है। डॉ एस सिद्धार्थ बुधवार को राजधानी पटना में बिहार सरकार के सूचना प्रावैधिकी विभाग द्वारा “आधार सत्यापन सह सुदृढ़ डिजिटल सुशासन” विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधत कर रहे थे। कार्यशाला को बिहार सरकार के सूचना प्रावैधिकी विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह के अलावा विभाग के विशेष सचिव, यूआईडीएआई के उप महानिदेशक सहित वरीय अधिकारियों ने संबोधित किया। इस कार्यशाला में बिहार सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
डॉ सिद्धार्थ ने कहा कि आधार सत्यापन के माध्यम से बिहार में कई फर्जी राशन कार्ड की पहचान की गई है और उन्हें रद्द किया गया है। आधार कार्ड का मामला सरकार के विभिन्न विभागों से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के पास आधार के साथ-साथ कई तरह के कार्ड और उसके नंबर उपलब्ध हैं। जैसे आपके आधार का नंबर कुछ है और आपके मतदाता पहचान पत्र, पैन, बैंक खातों में कुछ और नंबर दिए गए हैं जिससे सही व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित करने में कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं। यदि एक व्यक्ति के पास एक ही पहचान पत्र और एक ही यूनिक नंबर उपलब्ध हो तो सही लाभार्थी की पहचान करना आसान हो जाएगा। इससे डिजिटल सुशासन में भी पार्दर्शिता आएगी। आधार संख्या किसी भी व्यक्ति के लिए आजीवन वैध होती है और इसे विभिन्न पहचान उद्देश्यों के लिए प्रस्तुत किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें - बिहार में और प्रभावी होगा राजस्व महा-अभियान, विभाग ने जारी किया यह निर्देश...
विकास आयुक्त ने कहा कि आधार में व्यक्ति की जनसांख्यिकीय जानकारी यानी उसका नाम, पता, जन्मतिथि, लिंग और बायोमेट्रिक जानकारियां जैसे फिंगरप्रिंट, आइरिस स्कैन और फोटो शामिल होते हैं। लेकिन बिहार में आधार से जुडी कई चुनौतियां भी हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों मैं शिक्षा विभाग का कामकाज देख रहा था। मैंने पाया कि बिहार में बच्चों का आधार कार्ड बनवाने में कई तरह की विसंगतियां हैं। जबकि यदि बच्चों का आधार उनके जन्म के साथ ही बनवा लिया जाए तो इन विसंगतियों को दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बिहार में बच्चों का स्कूलों में नामांकन बिना आधार के ही हो रहे हैं। जिससे शिक्षा विभाग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि बिहार सरकार ने स्कूली बच्चों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। पाया जा रहा है कि जब बच्चों को सरकारी योजनाओं का लाभ उपलब्ध कराने का समय आता है तो कई बच्चों के आधार कार्ड में मोबाइल नंबर गलत पाए जाते हैं। इतना ही नहीं, कई बच्चों के नाम, जन्मतिथि और यहां तक कि उनके माता-पिता के नाम भी गलत पाए जाते हैं। यह भी सामने आता है कि बच्चे के आधार कार्ड में जो फोन नंबर दिए गए हैं, वह उसके माता-पिता का नहीं बल्कि आधार केंद्र संचालक का है।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए सूचना प्रावैधिकी विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह ने कहा कि आधार का सत्यापन सरकार के सभी विभागों से जुड़ा मामला है। सरकार जो भी योजना शुरू करती है, उसके लिए आधार सत्यापन को कैसे कारगर बनाया जाए, इस पर विमर्श करने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड का इस्तेमाल करने में बिहार देश के छह शीर्ष राज्यों में शामिल है। सरकार का उद्देश्य अपनी योजनाओं का लाभ योग्य व्यक्ति तक पहुंचाना है। यदि इस व्यवस्था को दुरुस्त कर लिया जाए तो किसी तरह के प्रमाणपत्र की जांच करना न केवल आसान हो जाएगा बल्कि इसमें समय की भी काफी बचत होगी।
यह भी पढ़ें - मुख्यमंत्री ने पटना जिला अंतर्गत 1433 करोड़ 77 लाख रुपये की लागत से कुल 06 योजनाओं का किया शिलान्यास