पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खास करीबी और राज्य सरकार में मंत्री अशोक चौधरी के प्रोफेसर के तौर पर सेवा देने में सरकार ने ही रोक लगा दी है। अभी अशोक चौधरी प्रोफेसर के तौर पर अपना योगदान नहीं दे सकेंगे। इस संबंध में सोमवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा। उन्होंने कहा कि मंत्री अशोक चौधरी की नियुक्ति के संबंध में कागजातों में कुछ कमियां पाई गई है जिसकी वजह से तत्काल रोक लगा दी गई है और इस पर विश्वविद्यालय सेवा आयोग से पक्ष लिया जा रहा है। मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि सारी बातों को गहराई से देखा जा रहा है और जो नियमसंगत होगा वह किया जायेगा।
यह भी पढ़ें - सदर अस्पताल में चप्पल से इलाज, वीडियो वायरल होने पर जांच का आदेश लेकिन कब तक हलकान होंगे मरीज...
बता दें कि मंत्री अशोक चौधरी जून 2025 में राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुए थे और उन्हें पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय आवंटित हुआ था। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में कुल 18 अभ्यर्थियों को नियुक्त किया गया था जिसमें सभी उम्मीदवारों को नियुक्ति पक्ष मिल भी गए जबकि अशोक चौधरी के कागजातों में कमियों की वजह से रोक लगा दी गई है। वे बिहार राज्य विश्वविद्यालय आयोग के द्वारा करीब 5 वर्ष पूर्व जारी विज्ञापन के आधार पर इंटरव्यू दे कर 274 उम्मीदवारों के साथ चयनित हुए थे।
बताया जा रहा है कि अशोक चौधरी की नियुक्ति पर उनके नाम की वजह से लगाई गई है। उनके शैक्षणिक प्रमाण पत्रों में उनका नाम अशोक कुमार दर्ज है जबकि उनके राजनीतिक और चुनावी हलफनामों में अशोक चौधरी। कागजात सत्यापन के दौरान अलग अलग नाम होने की वजह से उनकी नियुक्ति पर रोक लगाई गई है और बिहार राज्य विश्वविद्यालय आयोग से इस पर मंतव्य की मांग की गई है।
यह भी पढ़ें - शिक्षा मंत्री ने BPSC TRE-4 परीक्षा को लेकर दिया बड़ा अपडेट, तैयार रहें अभ्यर्थी जल्द आ रहा और भी वैकेंसी..