पटना: दो दशकों से बिहार की राजनीति में जो बदलाव नजर आ रहा है, वह सिर्फ सरकार-परिवर्तन का नहीं, बल्कि लोगों के जीवन की गुणवत्ता, आकांक्षाओं और उम्मीदों में बदलाव का है। इस बदलाव के पीछे नीतीश कुमार की नीतियां, राजनीतिक-स्तर पर सशक्त प्रयास और जनता के बीच भरोसेमंद छवि हैं। अब आपको बताते हैं उन कारको के बारे में कि क्यों बिहार में उनका नेतृत्व सर्वमान्य माना जा रहा है।
युवाओं की पहली पसंद नीतीश
नीतीश सरकार ने युवाओं के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए हाल ही में कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। हाल ही में किए गए घोषणा के तहत 2025-30 तक एक करोड़ युवाओं को नौकरी एवं रोजगार देने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही सरकार ने सात निश्चय कार्यक्रम के अंतर्गत पूर्व से संचालित 'मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना' का अब विस्तार करते हुए स्नातक बेरोजगार युवाओं को दो साल की अवधि के लिए 1,000 रुपये प्रति माह की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। यह कदम समाज के शिक्षित वंचित युवा वर्ग को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। शिक्षा से जुड़ी एक बड़ी पहल के तहत स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड लोन अब पूरी तरह ब्याज-रहित कर दिए गए हैं, जिससे उच्च शिक्षा लेने वाले छात्रों पर आर्थिक बोझ कम होगा और हर युवा अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ सकेगा
सिर्फ विकास नहीं, सामाजिक न्याय भी: नीतीश का संतुलित एजेंडा
नीतीश कुमार की राजनीति की सबसे बड़ी ताक़त यह है कि वे विकास को केवल बुनियादी ढांचे तक सीमित नहीं रखते, बल्कि इसे सामाजिक न्याय और समान अवसर से जोड़ते हैं। हाल ही में कराए गए जाति सर्वेक्षण ने इस सोच को और मज़बूती दी। इस सर्वे ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि सरकार केवल यह नहीं देखती कि कितना विकास हुआ है, बल्कि यह भी देखती है कि कौन-सा वर्ग कितना पीछे है और उसे आगे लाने के लिए क्या किया जा सकता है। यही वजह है कि राज्य सरकार ने दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के लिए कई लक्षित कार्यक्रम शुरू किए। महिलाओं को शिक्षा और आत्मनिर्भरता से जोड़ने वाली योजनाओं ने समाज की आधी आबादी को नई पहचान दी।
सरकार की इस सोच ने यह भरोसा पैदा किया कि शासन किसी एक वर्ग या समूह के लिए नहीं, बल्कि हर वर्ग और हर तबके के लिए है। नीतीश कुमार का यह समावेशी नेतृत्व ही उन्हें बिहार की राजनीति में अलग पहचान देता है। उनके लिए विकास केवल सड़कों और पुलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक संतुलन और विश्वास की नई धुरी है। यही कारण है कि वे आज भी राज्य के बड़े हिस्से में विश्वास और संतुलन की राजनीति के पर्याय माने जाते हैं।