पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में रिकॉर्ड वोटिंग हुई। रिकॉर्ड वोटिंग के साथ ही पहले चरण के मतदान में एक और रिकॉर्ड बना और वह रिकॉर्ड बना है आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का। बिहार में चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू होने के बाद से अब तक 428 मामले दर्ज हो चुके हैं जिसमें पहले काह्रण कुल 35 आचार संहिता उल्लंघन के मामले दर्ज हुए। इन मामलों में दीघा विधानसभा क्षेत्र सबसे आगे है जहां 9 आचार संहिता का उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया है। दीघा विधानसभा क्षेत्र में राजद, NDA और जन सुराज के प्रत्याशी जांच के दायरे में हैं। इसके साथ ही अब तक जन सुराज के विरुद्ध सबसे अधिक मामले दर्ज किये गए।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार बिहार में आचार संहिता लागू होने के साथ ही पुलिस ने एक सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल बना कर विशेष निगरानी के तहत कार्रवाई की। निगरानी के दौरान सबसे अधिक मामले दीघा विधानसभा क्षेत्र में पाए गए वहीं सबसे अधिक मामले जन सुराज पार्टी के विरुद्ध दर्ज किया गया। आरोप है कि कई उम्मीदवारों ने प्रचार सीमाओं को पार किया, सोशल मीडिया पर बिना अनुमति के प्रचार सामग्री साझा की और चुनावी जुलूसों में भीड़ नियंत्रण के नियमों की अनदेखी की।
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दीघा के बाद दानापुर विधानसभा में पांच मामले दर्ज हुए हैं जहां राजद प्रत्याशी रीतलाल यादव को समर्थन देने वाली कुछ आंगनबाड़ी सेविकाओं और शिक्षिकाओं को भी नामजद बनाया गया है। प्रशासन का कहना है कि सरकारी कर्मियों द्वारा किसी भी दल विशेष का खुला समर्थन आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है। वहीं मोकामा और बाढ़ विधानसभा क्षेत्रों से चार-चार मामले दर्ज हुए हैं। इन मामलों में अवैध बैनर-पोस्टर लगाना, अनुमति से अधिक लाउडस्पीकर का उपयोग और वाहनों पर पार्टी प्रतीक चिह्न लगाने जैसी शिकायतें शामिल हैं।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार सबसे अधिक मामले जन सुराज पार्टी के खिलाफ 9 मामले दर्ज किये गए हैं जबकि राजद के विरुद्ध 8, भाजपा और जदयू के विरुद्ध 4-4, कांग्रेस के विरुद्ध दो, लोजपा(रा) के विरुद्ध 2, सीपीआई (एमएल) के विरुद्ध एक मामला दर्ज किया गया है। जनसुराज के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी, जदयू के अनंत सिंह, राजद के भाई वीरेंद्र और कर्मवीर सिंह यादव, भाजपा के सियाराम सिंह, कांग्रेस प्रत्याशी सतीश कुमार और स्वतंत्र उम्मीदवार शैलेश कुमार के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गई है।
चुनाव आयोग के अधिकारी की मानें तो बिना अनुमति जुलुस, वाहन पर लाउडस्पीकर, पोस्टर बैनर लगाना या सोशल मीडिया पर भड़काऊ सामग्री साझा करना ये सब आचार संहिता के उल्लंघन की श्रेणी में आता है और इन्हीं मामलों में शिकायत दर्ज की गई है। लोकतंत्र का यह उत्सव तभी सार्थक होगा जब सभी दल और प्रत्याशी नियमों का सम्मान करें। प्रचार की आजादी लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन अनुशासन की सीमाएं सबके लिए समान हैं।
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