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अब बिहार में बनेगा LPG आधारित शवदाह गृह, नीतीश कैबिनेट ने 6 जिलों में...

छह जिलों में बनेगा आधुनिक गैस आधारित शवदाह गृह, नीतीश कैबिनेट ने किया मंजूर। पटना समेत 6 शहरों को गैस आधारित शवदाह गृह! समय और स्‍वच्‍छता दोनों का मिलेगा लाभ। अब अंतिम संस्कार होगा आसान और स्वच्छ, नीतीश कैबिनेट ने दी गैस शवदाह गृह को मंजूरी...

Now LPG based crematorium will be built in Bihar
अब बिहार में बनेगा LPG आधारित शवदाह गृह, नीतीश कैबिनेट ने 6 जिलों में...- फोटो : Darsh News

पटना, गया, छपरा… 6 जिलों में बनेंगे आधुनिक शवदाह गृह, 1 रुपये में जमीन लीज पर। कैबिनेट : कम प्रदूषण, कम खर्च और सुविधा ढेर! बिहार के 6 शहरों में बनेगा ऐसा शवदाह गृह। गया से भागलपुर तक! लोगों को मिलेगी आधुनिक अंतिम संस्कार की सुविधा, कैबिनेट ने किया मंजूर

पटना: बिहार सरकार ने अंतिम संस्कार से जुड़ी बड़ी सुविधा देने का फैसला किया है। नीतीश कुमार की कैबिनेट ने सोमवार को नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए राज्य के छह बड़े शहरों – पटना, गया, छपरा, सहरसा, भागलपुर और बेगूसराय में आधुनिक गैस (एलपीजी) आधारित शवदाह गृह बनाने की अनुमति दे दी है।

ईशा फाउंडेशन को जिम्मेदारी

इस योजना को ईशा फाउंडेशन, कोयम्बटूर के जरिए अमल में लाया जाएगा। खास बात यह है कि इन छह शहरों में एक-एक एकड़ जमीन फाउंडेशन को 33 साल के लिए महज 1 रुपये की टोकन राशि पर लीज पर दी जाएगी।

क्या होगा फायदा?

अब लोगों को दाह संस्कार में होने वाली परेशानी से राहत मिलेगी। पारंपरिक लकड़ी वाले चिताओं की तुलना में गैस आधारित शवदाह गृह से समय और खर्च दोनों की बचत होगी। ऐसे में यह प्रणाली पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित होगी, क्योंकि लकड़ी जलने से होने वाला धुआं और प्रदूषण काफी कम होगा। इन शहरों के लोगों को अब अपने इलाके में ही आधुनिक और स्वच्छ अंतिम संस्कार सुविधा मिलेगी।

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स्थानीय लोगों के लिए बड़ी सौगात

पटना और गया जैसे बड़े धार्मिक-आध्यात्मिक केंद्रों के साथ-साथ छपरा, सहरसा, भागलपुर और बेगूसराय में भी यह सुविधा मिलना बड़ी राहत माना जा रहा है। अभी तक इन जगहों पर दाह संस्कार के दौरान लकड़ी और जगह की कमी जैसी दिक्कतें अक्सर सामने आती रही हैं। जिस समस्‍या से लोगों को मुक्ति मिल जाएगी।

सरकार का कहना

कैबिनेट की स्वीकृति के बाद अब जल्द ही जमीन आवंटन और निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी। सरकार का मानना है कि यह कदम न केवल सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि पर्यावरण की रक्षा के लिहाज से भी कारगर साबित होगा।

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