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अब संस्कृत और मैथिली में भी भारत का संविधान, संविधान दिवस के 75 वें सालगिरह पर विशेष कार्यक्रम..

Now the Constitution of India is also in Sanskrit and Maithi

Delhi - संविधान दिवस के 75 वीं सालगिरह पूर  होने के बाद विशेष समारोह का आयोजन किया जा रहा है. संसद के सेंट्रल हॉल में विशेष समारोह का आयोजन किया जा रहा है देश में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित किया.

 समारोह के मंच पर राष्ट्रपति के साथ ही उपराष्ट्रपति प्रधानमंत्री लोकसभा अध्यक्ष, दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष,राज्यसभा के उपसभापति एवं संसदीय कार्य मंत्री मौजूद रहे.
राष्ट्रपति के संबोधन से पहले लोकसभा अध्यक्ष ने स्वागत भाषण किया उसके बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दोनों सदनों के सांसदों को संबोधित किया. कार्यक्रम के दौरान भारतीय संविधान की महिमा, इसके निर्माण और ऐतिहासिक यात्रा को समर्पित लघु फिल्म प्रस्तुति की गई. इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ को समर्पित एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया गया. इस दौरान राष्ट्रपति ने 'भारत के संविधान का निर्माण: एक झलक' और 'भारत के संविधान का निर्माण और इसकी गौरवशाली यात्रा' शीर्षक पुस्तकों का विमोचन. भारतीय संविधान की कला को समर्पित पुस्तिका का विमोचन. भारतीय संविधान का संस्कृत में विमोचन किया गया. मैथिली में भारतीय संविधान का विमोचन किया गया. भारत के राष्ट्रपति की अगुवाई में प्रस्तावना का औपचारिक वाचन किया गया. राष्ट्रपति के साथ ही सभी सांसदों ने प्रस्तावना को दोहराया.

अपने संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के संविधान की यात्रा और इसके अहम तथ्यों को रेखांकित किया. राष्ट्रपति द्रौपदी  मुर्मू ने कहा कि

भारत सरकार ने देश के संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्ष भर चलने वाले ऐतिहासिक समारोह की शुरुआत की घोषणा की है. यह निर्णय हमारे लोकतंत्र की उल्लेखनीय यात्रा और हमारे संस्थापक सिद्धांतों तथा संवैधानिक मूल्यों की स्थायी विरासत को दर्शाता है, जो संविधान दिवस 26 नवंबर, 2024 से शुरू होगा. यह समारोह " हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान " अभियान के तहत आयोजित किए जा रहा हैं और इसका उद्देश्य संविधान में निहित मूल मूल्यों को दोहराते हुए संविधान के निर्माताओं के योगदान का सम्मान करना है. इस संविधान ने भारतीय इतिहास में एक नए युग की शुरुआत की. यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन दुनिया के सबसे लंबे लिखित संविधान को अपनाया गया था, जो भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की आधारशिला है. अपनी स्थापना के बाद से, संविधान पिछले 75 वर्षों से राष्ट्र की प्रगति को आकार देने वाले मार्गदर्शक ढांचे के रूप में कार्य कर रहा है.


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