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चुनावी साल में प्रशांत किशोर की राजनीति और रणनीति से JDU और RJD असहज, जानें वजह..

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Patna - इस साल के अक्टूबर- नवंबर महीने में होने वाली विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार की सभी राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए प्रगति यात्रा पर हैं तो नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव  अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने के लिए अलग-अलग जिलों का दौरा कर रहे हैं. नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन तो तेजस्वी यादव के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन बिहार के चुनाव भी मैदान में उतरने को लेकर अभी से ही रणनीति बनाने में लगी हुई है, वही इस दो गठबंधन के बीच में प्रशांत किशोर तीसरा  ध्रुव बनने की कोशिश कर रहे हैं, और ऐसा लगता है कि परोक्ष रूप से नीतीश कुमार की सरकार भी उनकी  बिहार में राजनीतिक हैसियत बढ़ाने में मदद दे रही है.

 प्रशांत किशोर ने करीब 1 साल तक बिहार की यात्रा करने के बाद राजनीतिक पार्टी बनाई, उसके बाद विधानसभा उपचुनाव लड़े जिसमें उनकी पार्टी के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे, वहीं BPSC अभ्यर्थियों का साथ देने के बहाने प्रशांत किशोर और उनके कार्यकर्ता पहली बार सड़कों पर आंदोलन के लिए उतरे. प्रशांत किशोर के नेतृत्व में छात्र और कार्यकर्ताओं ने सीएम हाउस के लिए मार्च निकाला, जिसमें बीपीएससी अभ्यर्थियों पर लाठी चार्ज हुई, इसके बाद प्रशांत किशोर सत्ताधारी और विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए. प्रशांत किशोर ने अगली रणनीति के तहत पटना ऐतिहासिक गांधी मूर्ति के समक्ष बीपीएससी अभ्यर्थियों के समर्थन में आमरण अनशन शुरू कर दिया. वे जानते थे कि यहां आमरण अनशन करने पर प्रशासन उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी, क्योंकि यह धरना प्रदर्शन के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र है, और पटना पुलिस ने आज ऐसा ही किया.

 अहले सुबह करीब 4:00 बजे पटना के करीब 10 थाने की पुलिस एक साथ गांधी मैदान पहुंची, और प्रशांत किशोर को उनके समर्थकों के साथ गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के दौरान कार्यकर्ताओं के साथ धक्का मुक्की भी हुई, इस बीच एक पुलिस जवान प्रशांत किशोर पर थप्पड़ भी चलाता नजर आया जिसको लेकर काफी राजनीति हो रही है और पुलिसिया कार्रवाई पर समर्थक सवाल उठा रहे हैं.

 पुलिस प्रशांत किशोर को एंबुलेंस में लेकर गई और उसके बाद फिर पुलिस वैन में बिठा लिया. प्रशांत किशोर को पुलिस एम्स ले गई, फिर वहां से फतुहा  अस्पताल ले गई और वहां से मेडिकल चेकअप कराने के बाद कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने उन्हें सशर्त जमानत दे दी, उन्हें प्रतिबंधित क्षेत्र में फिर से आंदोलन नहीं करने को कहा है, पर प्रशांत किशोर सशर्त जमानत लेने के लिए तैयार नहीं हुई जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्याय हिरासत में बेउर जेल भेज दिया, यानी वे इस आंदोलन को यहीं खत्म करना नहीं चाहते हैं. यह संभव है कि जेल में भी वह अपना आंसर जारी रखें, जिससे आम लोगों की सहानुभूति उनको मिले.

 प्रशांत किशोर जानते हैं कि जिस मुद्दे को लेकर वे आगे बढ़े हैं वे युवाओं और रोजगार से जुड़ा हुआ मुद्दा है और अगर उन्हें और उनकी पार्टी को इस मुद्दे पर बिहार के युवाओं का जन समर्थन बढ़ता है, तो विधानसभा चुनाव में सुबह काफी बड़ा रोल प्ले कर सकते हैं.

विरोध मार्च, आमरण अनशन और पुलिस प्रशासन द्वारा की गई इस कार्रवाई और बेल मिलने के बाद भी जेल जाने के बाद कहीं न कहीं प्रशांत किशोर अब बिहार की राजनीति में अपनी प्रासंगिकता बढ़ाते नजर आ रहे हैं, यही वजह है कि सत्ताधारी दलों के साथ ही मुख्य विपक्षी दल के नेता भी परेशान है और पुलिसिया कार्रवाई को सही ठहराने में लगे हैं.

 पूरे मामले पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है की प्रशांत किशोर बीजेपी की भी टीम की तरह काम कर रहे हैं. बिहार के लोगों को एक फिल्म दिखाने की कोशिश की जा रही है, इन लोगों के बिहार के युवा और छात्र-छात्राओं के मुद्दों से कुछ लेना-देना नहीं है, बल्कि यह लोग एक स्क्रिप्ट पर काम कर रहे हैं. इस पर मुझे ज्यादा कुछ नहीं कहना है.

 गौतलब है कि प्रशांत किशोर के इस आंदोलन को लेकर जदयू और राजद के नेता हमलावर हैं, पर बीजेपी की ओर से सधी प्रतिक्रिया आ रही है, इसलिए आरजेडी प्रशांत किशोर को बीजेपी का भी टीम के रुप में प्रचारित कर रही है.

 

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