Patna City : कर्बला के शहीदों की यूं याद मनाते हैं, 72 का ताबूत उठाते हैं... शब्बीर की शहादत एक ऐसी दासता है, सिमटे तो कर्बला है। कुछ इसी तरह से कर्बला के शहीदों का दर्द सुनते गमगीन मंजर के बीच जायरीन की आंखें नम हो गयी थीं। मौका था शुक्रवार को गुलजारबाग इमाम बारगाह इमाम बान्दी बेगम वक्फ स्टेट में 72 ताबूत जुलूस का निकाले गए । हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 अंसारों की शहादत का जिक्र जब एक के बाद एक शुरू हुआ, तब वहां मौजूद जायरीनों की आंखें नम हो गयीं। इससे पहले इहफाम अब्बास रिजवी ने तलावते-कलाम-पाक पेश की। इसके बाद सैयद जररार हुसैन नकवी ने सोजखानी व सैयद फररूख हुसैन नकवी ने मर्सिया पढ़ा। मौलाना सैयद आबिस काजमी जरवली ने तकरीर पेश की। वहीं सैयद नासिर अब्बास साहिब ने पेशखानी पेश की। इसके बाद शुरू हुआ एक-एक कर शहीदों के शहादत की गाथा। 72 ताबूत के मंजर को जीवंत करते रवीश शिराजी ने जब एक-एक शहीदों का जिक्र करते और उनका ताबूत निकाल वहां मौजूद जायरीनों के बीच लाया जाता, तब जायरीन की आंसू और तेज हो जाती। इसी बीच जब कुछ युवा अली अकबर का ताबूत लेकर निकले तो लोग सीना पीट-पीट कर रोने लगे।
शिराजी के शब्दों से यह पता चल रहा था कि इनको बरछी से शहीद किया गया था। तभी छोटे बच्चे अली असगर का झूला लिए खेमे से बाहर आए तो छोटे बच्चे संग मौजूद जायरीन व महिलाओं ने तेज आवाज में रोने लगी। क्योंकि अली असगर की आयु उस समय मात्र छह माह थी। इसीलिए इनका झूला निकाला जाता है। शिराजी ने बताया कि अली असगर उस समय प्यास से बिलबिला रहा था। जबकि सामने ही नहर फुरात था। मगर यजीद के लश्करों ने बच्चे के गले को तीरों से छलनी कर दिया था। बात इतनी थी कि यजीद के सामने इमाम हुसैन बैयत कर ले। मगर इमाम हुसैन ने मरना कबूल किया लेकिन इस्लाम को झुकने नहीं दिया। तभी काले कपड़े से बने खेमे से हजरत अब्बास का ताबूत व अलम लेकर जब लड़के निकले तो लोगों की आंखे नम हो गई। जब कर्बला से आखिरी शहीद हजरत इमाम हुसैन का ताबूत लिए बानयान अपने कंधों पर खेमे से बाहर निकले तो बच्चों संग महिलाएं छाती पीट-पीटकर रोने लगी। अंत में मूसा अली हाशमी ने सलाम व बानयान ने मुनाजत पेश किया। आयोजकों ने बताया कि 72 ताबूत जुलूस के 29 वर्ष पूरा होने पर बिहार समेत यूपी, बंगाल, महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा, दिल्ली व दूसरे देशों से भी आए लोग शामिल हुए। इधर जायरीनों के लिए जगह-जगह शर्बत व चाय की व्यवस्था की गई थी। आयोजन को लेकर सैयद हादी हसन, मिर्जा इम्तियाज हैदर, सैयद अमानत अब्बास व सैयद नासिर अब्बास सक्रिय रहे।
पटना सिटी से मुकेश कुमार की रिपोर्ट
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