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ब्रेड आमलेट बेचने वाले का बेटा बना जज, औरंगाबाद के दो दोस्तों के जज बनने की अनोखी कहानी..

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Aurangabad - बिहार लोक सेवा आयोग(BPSC) की न्यायिक सेवा परीक्षा का रिजल्ट जारी कर दिया गया है जिसमें टॉप 10 में 9 स्थान पर महिला अभ्यर्थी ने जगह  पाई है इसकी चर्चा और तारीफ हर जगह हो रही है, वही इस परीक्षा में औरंगाबाद के एक ही इलाके के दो दोस्तों ने काफी संघर्ष के जरिए  सफलता पाकर जज बनने में कामयाबी हासिल की है.पास की है। अब दोनों ही दोस्त एक साथ जज बनने जा रहे है। इन दोनों दोस्तों के जज बनने में उनके माता-पिता का बहुत बड़ा योगदान है एक को उसके पिता ने जज बनाने के लिए ठेले पर ब्रेड-अंडे की दुकान चलाई  और मां ने स्वयं सहायता समूह से कर्ज लेकर पढ़ाई पूरा करवाई,वही दूसरे की मां ने ग्राम कचहरी के सचिव की छोटी सी नौकरी की व पिता ने प्रिंटिंग प्रेस चला कर पढ़ाया और जज बनने लायक बनाया। दोनों दोस्तों की सफलता से उनके घर-परिवार में खुशी का माहौल है, वहीं आसपास के लोकगीत काफी उत्साहित है और दोनों परिवार को बधाई और शुभकामनाएं दे रहे हैं.

     शिवगंज के दो दोस्तो की कहानी

दरअसल यह कहानी बिहार के औरंगाबाद के नक्सल प्रभावित मदनपुर प्रखंड के शिवगंज की है। शिवगंज के दो लायक बेटों ने BPSC की न्यायिक सेवा परीक्षा-2024 में सफलता हासिल कर अपने माता-पिता, परिवार और गांव का नाम रोशन किया है। इनमें आदर्श कुमार ने 120वां और अनुपम कुमार ने 151वां रैंक लाया है। दोनों ने ही बिना किसी कोचिंग का सहारा लिए सेल्फ स्टडी कर यह सफलता हासिल की है। दोनों ही साधारण से ग्रामीण परिवार से आते है।  

एक साथ की लॉ की पढ़ाई, दोनों के सपने भी एक

आदर्श और उसके दोस्त अनुपम दोनों का एक ही सपना था कि वें कानून की पढ़ाई कर जज बने। लिहाजा दोनों ने ही ने 2017 में एक साथ कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट(क्लैट) की परीक्षा दी। इस परीक्षा में दोनों को सफलता मिली और दोनों को एक साथ चाणक्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, पटना में दाखिला मिला। 2022 में एलएलबी की पढ़ाई पूरी होने के बाद दोनों ही न्यायिक सेवा की तैयारी में लग गए और दोनों को 2024 में एक साथ सफलता मिल गई और उनके जज बनने का सपना भी पूरा हो गया।
    बाप ने ठेले पर ब्रेड-अंडे की दुकान चलाई

आदर्श के पिता विजय साव शिवगंज बाजार में चौराहे पर ठेले पर ब्रेड-अंडे की छोटी सी दुकान चलाते है। इसी दुकान के सहारे उन्होने आदर्श की दो बड़ी बहनों लक्ष्मी और रेखा के भी हाथ पीले किए और दोनों बेटों आदर्श कुमार और राजू कुमार को भी पढ़ाया। आदर्श के छोटा भाई राजू ने स्नातक के बाद बीएड की पढ़ाई की है और सरकारी शिक्षक बनने के लिए तैयारी करने के साथ ही अपना खर्च चलाने के लिए शिवगंज में ही एक छोटा सा कोचिंग सेंटर चलाते है। आदर्श की पढ़ाई के दौरान परिवार के समक्ष जब रुपए की कमी आड़े आई तो उसकी मां सुनैना देवी ने पढ़ाई में बाधा नही आने देने के लिए गांव में ही महिलाओं के स्वयं सहायता समूह से कर्ज लिया, जिसकी वह सदस्य भी है। आदर्श की सफलता से उसके पूरे परिवार में खुशी है।    
       मां-बाप ने सपने में भी नही सोंचा था

आदर्श के पिता विजय साव और मां सुनैना देवी बेटे की सफलता से आह्लादित है। वें कहते है कि उन्होने तो सपने में भी नही सोंचा था कि उनका बेटा जज बनेगा। उन्हे इतनी ही उम्मीद थी कि बेटा कानून की पढ़ाई कर रहा है। पढ़ लिखकर एक अच्छा वकील बन जाएगा और अपना परिवार चला लेगा लेकिन बेटे ने तो उनकी उम्मीद से बढ़कर बड़ा काम और नाम कर दिया। आदर्श के छोटे भाई राजू कहते है कि मेरे भईया धुन के पक्के इंसान है। वें जिस बात को ठान लेते है, उसे कर दिखाते है। भईयां एलएलबी करने के बाद वकालत शुरू कर सकते थे लेकिन उन्होने ऐसा नही किया। उन्होने जज बनने की ठानी तो जज बनकर ही दम लिया।  

   आदर्श ने कहा-मां-बाप मेरे भगवान

वही आदर्श अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को देते हुए कहते है कि मेरे लिए मां-बाप ही भगवान है। उन्होने ही अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई मुझ पर खर्च कर इस लायक बनाया, जिससे मैं न्यायिक सेवा परीक्षा पास कर सका। कहा कि मेहनत करने वालों की कभी हार नही होती है। प्रयास करने से सफलता जरूर मिलती है। इसलिए प्रयास करने से कभी भी पीछे मत हटिए और प्रयास करते जाइए। मैंने सही तरीके से प्रयास किया तो पहले प्रयास में ही मुझे सफलता मिल गई। यदि बार-बार के प्रयास के बावजूद सफलता नही मिल रही है तो यह तय है कि आप प्रयास पूरे मनोयोग से नही कर रहे है। पूरे मनोयोग से प्रयास करेंगे तो सफलता नही मिलने का प्रश्न ही नही उठता।

 अनुपम की सफलता से परिवार में हर्ष

वही अनुपम कुमार की सफलता से उसके परिवार में भी हर्ष है। अनुपम के पिता अशोक मेहता किसान है और शिवगंज में प्रिंटिंग प्रेस चलाते है। लगनौती मौसम में शादी विवाह का कार्ड और अन्य अवसरों पर आमंत्रण कार्ड छापने का काम करते है। इसी प्रिटिंग प्रेस और छोटे रकबे की खेती से उनके पूरे परिवार का खर्च चलता है। परिवार का खर्च चलाने में सहयोग के लिए अनुपम की मां संजू देवी एरकीकला ग्राम कचहरी में सचिव की संविदा वाली नौकरी करती है। अनुपम का एक छोटा भाई और एक छोटी बहन है। छोटा भाई शुभम कुमार पटना वाणिज्य महाविद्यालय में बीबीए फाइनल ईयर का छात्र है और वह एमबीए करने के लिए कैट की तैयारी में लगा है। जबकि छोटी बहन खुशबू कुमारी पटना वीमेंस कॉलेज में एमसीए फाईनल ईयर की पढ़ाई कर रही है।    

            पिता बोले -अब लोग कहेंगे, जज का बाप

वही अनुपम की सफलता पर उसके पिता अशोक मेहता कहते है कि अभी तक तो इलाके में लोग मुझे प्रिंटिंग प्रेस चलाने वाला और छपाई वाला के रूप में जानते है। लेकिन अब लोग मुझे जज के बाप के रूप में जानेंगे। यह मेरे लिए बड़ी खुशी है। बेटे ने समाज में मेरा मान-सम्मान बढ़ाया है। वही मां संजू देवी कहती है कि बाल-बच्चों का लायक निकलना एक मां के लिए बहुत बड़ी खुशी है। मैं इतनी खुश हूं, जिसे बयान नही कर सकती हूं। 

सटेज वार आगे बढ़ने पर जरूर मिलेगी सफलता

वही अनुपम ने कहा कि सफलता हासिल करनी है, तो ज्यादा दूर की मत सोंचिए। सिर्फ लक्ष्य पर काम करिए। स्टेज बाई स्टेज आगे बढ़िए। एक स्टेज पर सफलता मिल जाए, तभी दूसरे स्टेज के लिए आगे बढ़िए। एक साथ कई सारी सफलता नही मिल सकती है। इस कारण स्टेज वार आगे बढ़ने पर सफलता जरूर मिलेगी। इसे ही वें अपनी सफलता का मूल मंत्र मानते है।

औरंगाबाद से गणेश की रिपोर्ट

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