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अररिया के औराही हिंगना में कथाशिल्पी रेणु की जयंती समारोह, सरकार के कई आश्वासन अब भी अधूरे..

Story writer Renu's birth anniversary celebrated in Aurahi H

Araria :- कथाशिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की 104वीं जयंती अररिया के औराही हिंगना गाँव में धूमधाम और उत्साह के साथ मनाई गयी. रेणु परिवार और फारबिसगंज SDM शैलजा पांडे ने रेणु जी के आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया. वहीं अररिया के साहित्यकार बसंत कुमार ने कहा कि अब रेणु का मैला आँचल बहुत बदल गया है. अब यहाँ कोई बीमारी से नहीं मरता. सबसे ख़ुशी की बात यह है कि अब रेणु के अररिया में मेडिकल कॉलेज भी बनने जा रहा है 

विश्व प्रसिद्ध आंचलिक साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु की जयंती और पुण्यतिथि को राजकीय समारोह के रूप में मनाया जाता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रेणु की जयंती और पुण्यतिथि को राजकीय समारोह में मनाने की घोषणा की थी। पटना के साथ जिला मुख्यालय अररिया और उनके गांव औराही हिंगना में कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं। जहां रेणु की लेखनी और सामाजिक बदलाव में उनके योगदान को खूब चर्चा होती है। मगर, सियासतदान रेणु को लेकर लिए गए प्रस्ताव और घोषणा को ही भूल बैठते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, कटिहार जोगबनी रेलखंड के बीच में पड़ने वाले रेणु के गांव के रेलवे स्टेशन सिमराहा स्टेशन को उनके नाम पर करने की।

 बिहार विधानसभा से 2008 में ही पारित किया गया था कि सिमराहा स्टेशन का नामकरण रेणुग्राम सिमराहा किया जाएगा,लेकिन 17 साल बीत जाने के बावजूद भी सिमराहा स्टेशन का नामकरण रेणु के नाम पर नहीं हो सका। रेणु के नाम पर सियासत करने वाले रहनुमा इसे भूला बैठे हैं, जबकि रेणु परिवार और ग्रामीणों की ओर से लगातार यह मांगें उठाई जा रही है।सिमराहा स्टेशन का नाम रेणुग्राम सिमराहा किए जाने की मांग को लेकर फणीश्वरनाथ रेणु के बड़े पुत्र और पूर्व विधायक पदम पराग राय वेणु और छोटे पुत्र दक्षिणेश्वर राय पप्पू कटिहार डीआरएम सुरेंद्र कुमार और सीनियर डीसीएम विवेकानंद द्विवेदी से हाल के दिनों में भी मुलाकात की और पूरी जानकारी दी। रेणु के बेटे ने मांग को लेकर एक मांगपत्र भी डीआरएम को सौंपा था। रेणु के परिजनों की ओर से कई बार पत्राचार भी किया गया, लेकिन आश्वासन की घुट्टी में 17 साल बीत गए और सिमराहा स्टेशन का नाम रेणु के नाम पर हो न सका।इसके साथ ही जोगबनी-आनंद विहार सीमांचल एक्सप्रेस, जोगबनी-चित्तपुर एक्सप्रेस और जोगबनी-सिलीगुड़ी इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव सिमराहा रेलवे स्टेशन पर सुनिश्चित करने की मांग कुछ दिन पहले भी कटिहार रेल मंडल कार्यालय जाकर डीआरएम से की। उन्होंने डीआरएम को बताया कि बिहार सरकार की ओर से संचालित फणीश्वरनाथ रेणु अभियंत्रण महावि‌द्यालय का संचालन सिमराहा में हो रहा है। जिसमें सैकड़ों के संख्या में बिहार सहित अन्य राज्यों के छात्र-छात्राओं का आना-जाना होता है। सिमराहा रेलवे स्टेशन से लगभग दो लाख रुपए प्रति माह राजस्व रेलवे को होने की बात करते हुए पूर्व विधायक ने डीआरएम को बताया कि सिमराहा स्टेशन का नाम रेणुग्राम सिमराहा किए जाने को लेकर पूर्व में भी गैर सरकारी संकल्प -संख्या 139/2008 दिनांक 01/04/2008 के द्वारा की गई थी, जिसे बिहार विधान सभा ने पारित भी किया था। डीआरएम सुरेंद्र कुमार के साथ सीनियर डीसीएम विवेकानंद द्विवेदी और रेणु के छोटे पुत्र दक्षिणेश्वर राय पप्पू भी मौके पर मौजूद थे।

 फणीश्वरनाथ रेणु किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उनकी लेखनी के दीवानगी न केवल भारत में बल्कि विश्व के साहित्यकारों के बीच में है। तभी तो विश्व के कई देशों के साहित्यकार रिसर्च के लिए बराबर रेणु गांव पहुंचकर उनकी लेखनी की मिट्टी की सौंधी खुशबू से सराबोर होते हैं। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई बार रेणु के घर पहुंचकर परिजनों से मुलाकात की थी और ग्रामीण परिवेश वाले खाद्य पदार्थ पटुवा साग और भक्का (ग्रामीण परिवेश में चावल के आटे की भाप से मिट्टी के बर्तन में बने व्यंजन) का स्वाद ले चुके हैं।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रेणु परिवार से आत्मीयता को लेकर 2010 के विधानसभा चुनाव में रेणु के बड़े पुत्र पदम पराग राय वेणु को भाजपा का टिकट दिया गया था और उस चुनाव में उन्होंने विजयश्री का माला भी पहना था। 2010 का विधानसभा चुनाव भाजपा-जदयू ने एनडीए गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था। फारबिसगंज विधानसभा सीट भाजपा के खाते में था, नीतीश कुमार के पहल पर पदम पराग राय वेणु को भाजपा का उम्मीदवार बनाया गया था। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का दौरा और चुनावी सभा जब भी अररिया और पूर्णिया में हुआ। उन्होंने सबसे पहले फणीश्वरनाथ रेणु और उसकी कालजई रचना को खुले मंच से याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। ग्रामीण परिवेश और सामाजिक समरसता वाली उनकी लेखनी को नमन किया।


    जोगबनी-कटिहार रेलखंड पर सीमावर्ती देश नेपाल के नागरिकों सहित यहां के रेल यात्रियों का मुख्य आवागमन का साधन है। बड़ी संख्या में नेपाल के यात्री जोगबनी से ट्रेन पकड़कर देश के दूरदराज क्षेत्र पहुंचते हैं। ऐसा नहीं है कि रेणु की लेखनी और उनकी संघर्ष की गाथा केवल भारतीयों के लिए ही रही। बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से लेकर नेपाल के राणाशाही के खिलाफ आंदोलन और जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में लड़ी गई छात्र आंदोलन में उनका बड़ा योगदान रहा। बावजूद इन सबके विश्व प्रसिद्ध आंचलिक साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु अपने गांव में ही रहनुमाओं के कारण बेगाने बन बैठे हैं। 


अररिया से अरुण कुमार की रिपोर्ट


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