पटना: बिहार में नई सरकार के गठन के बाद अपराधी अभी भी बेख़ौफ़ दिख रहे हैं जबकि कहा जा रहा है कि सम्राट चौधरी को गृह विभाग का जिम्मा मिलने के बाद कुछ नया और अपराधियों के लिए सर दर्द बनने वाला है। हालांकि इस दिशा में बिहार पुलिस ने काम करना भी शुरू कर दिया है और अब बिहार के DGP विनय कुमार ने एसपी से लेकर थानाध्यक्षों तक को एक नया टास्क दे दिया है। डीजीपी ने इसे लेकर आदेश जारी कर दिया है और सभी की जिम्मेदारी भी तय कर दी है। नए आदेश के बाद अब सभी थानाध्यक्षों को अपनी जवाबदेही निभानी होगी अन्यथा वे कार्रवाई की जद में आ सकते हैं।
डीजीपी विनय कुमार ने थानाध्यक्षों को स्पष्ट आदेश दिया है कि किसी भी दर्ज घटना की प्रोग्रेस रिपोर्ट 7 दिनों के अंदर देना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संगठित अपराध और गिरोहों को खत्म करने के लिए सभी रेंज लेवल पर ATS और जिले में STF के गठन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इन इकाइयों में सिर्फ अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड रखने वाले अधिकारियों और कर्मियों को ही शामिल किया जायेगा। डीजीपी ने क्राइम इन्वेस्टीगेशन की गुणवत्ता पर भी जोर दिया और कहा कि कमजोर इन्वेस्टीगेशन करने वाले अधिकारियों पर अब तत्काल कार्रवाई की जाएगी।
यह भी पढ़ें - पटना पहुंचे गृह राज्य मंत्री ने कांग्रेस समेत विपक्ष को धोया, पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद निर्माण पर तो...
डीजीपी ने साफ किया कि कमजोर इन्वेस्टीगेशन वाले अधिकारियों पर इसलिए कार्रवाई की जाएगी ताकि साक्ष्य के अभाव या कमजोरी की वजह से आरोपी को जमानत न मिले। जमानत पर आये अपराधियों की गतिविधि की भी निगरानी की जाएगी और दुबारा अपराध की कोशिश करने की स्थिति में उसकी जमानत तुरंत रद्द करने का प्रस्ताव भेजा जायेगा। डीजीपी ने साफ कर दिया है कि अपराधियों में भय स्थापित करने के लिए हर तरह से सख्त और प्रभावी कार्रवाई की जाएगी।
अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई में थानों की तरफ से अभियान या कार्रवाई सिर्फ औपचारिकता नहीं बल्कि उसे जमीनी स्तर पर करना सुनिश्चित करना होगा। वहीं दूसरी तरफ उप मुख्यमंत्री सह गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने भी कहा कि डीजीपी विनय कुमार अब जवाबदेही आधारित पुलिसिंग प्रणाली को प्रभावी बनाने के लिए सभी जिलों की अपराध की स्थिति की मासिक समीक्षा करेंगे।
यह भी पढ़ें - KL राहुल ने किया टोटका और 20 मैच के बाद टीम इंडिया को मिली यह सफलता, पहले ओवर में...