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ब्रेस्ट पकड़ने और पजामे का नारा तोड़ने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

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Delhi :- 'नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट को पकड़ना और उसके पायजामे के नारे को तोड़ना रेप नहीं है' इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल रोक लगा दी है, और इस फैसले को काफी असंवेदनशील मानते हुए केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

 बताते चलें कि एक मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र ने फैसला देते हुए लिखा था कि किसी लड़की के निजी अंग पकड़ लेना उसके पजामे का नारा तोड़ देना और जबरन उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश से रेप या अटेम्प्ट तो रेप का मामला नहीं बनता है, और उन्होंने आरोपियों के खिलाफ लगी धाराओं को बदल दिया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद देशभर में कानूनी विशेषज्ञ और राजनेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने काफी तीखी टिप्पणी की थी और इसे  असंवेदनशील फैसला बताया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के खिलाफ खुद से सुनवाई करने का फैसला किया.

 सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी. आर गवई और एजी मसीह की बेंच ने आज बुधवार को इस मामले पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट केस बेंच ने सुनवाई के बाद कहा कि हाई कोर्ट के ऑर्डर में की गई कुछ टिप्पणियां पूरी तरह से और संवेदनशील और अमानवीय नजरिया दिखती है. यह बहुत ही गंभीर मामला है और जिस जज ने यह फैसला दिया उसकी तरफ से बहुत और संवेदनशीलता दिखाई गई.

 इस टिप्पणी साथ ही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. सभी पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर अंतिम फैसला देगा

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