Patna News : बिहार में RJD अब समाजवादी पार्टी की यूपी वाली रणनीति को फॉलो करती दिख रही है। तेजस्वी यादव वही फॉर्मूला आजमा रहे हैं, जो अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में अपनाया था। यानी अपने कोर वोट बैंक यानी यादवों के साथ-साथ गैर-यादव ओबीसी और बीजेपी के कुछ परंपरागत वोटरों को भी अपने पाले में लाने की कोशिश।
तेजस्वी की प्लानिंग है कि वो ऐसे गैर-यादव नेताओं को टिकट दें, जो जातिगत तौर पर तीसरे-चौथे नंबर की जातियों से हों, लेकिन लोकल लेवल पर अच्छी पकड़ रखते हों। इस नई रणनीति को भांपते हुए बीजेपी भी अलर्ट हो गई है। बीजेपी ने हर विधानसभा सीट पर जातिगत सर्वे शुरू कर दिए हैं, ताकि आरजेडी की चाल को वक्त रहते काटा जा सके।
बीजेपी को डर है कि अगर आरजेडी ने यादव वोटों पर निर्भरता कम करके दूसरी जातियों को ज्यादा तवज्जो दी, तो एनडीए का वोट बैंक खिसक सकता है। इसलिए बीजेपी अब उन जातियों में भी अपने लिए उम्मीदवार तलाश रही है, जो पहले कभी उसके साथ नहीं थीं।
आरजेडी की नजर सबसे पहले वैश्य समाज पर है, जिसे अपने साथ जोड़ने की कोशिशें तेज हो गई हैं। साथ ही, आरजेडी ने जेडीयू को सपोर्ट करने वाली जातियों में भी अपने लिए उम्मीदवार ढूंढने शुरू कर दिए हैं। जवाब में बीजेपी ने ओबीसी बहुल सीटों पर नए सर्वे शुरू कर दिए। बीजेपी ने अपने नेताओं को अलग-अलग जातियों के बड़े चेहरों से संपर्क करने का टास्क दे दिया है।
पार्टी को यकीन है कि नीतीश कुमार और बीजेपी को सपोर्ट करने वाली जातियां आरजेडी के जाल में नहीं फंसेंगी। इसी भरोसे के साथ बीजेपी ने एक बार फिर “जंगलराज” का नारा उछालना शुरू कर दिया है।
आरजेडी के ओबीसी कार्ड को काउंटर करने के लिए बीजेपी अब पीएम नरेंद्र मोदी को देश का सबसे बड़ा ओबीसी चेहरा बता रही है। साथ ही, पार्टी ने अपने सभी बड़े ओबीसी नेताओं को मैदान में उतार दिया है। लेकिन बीजेपी को ये चिंता भी सता रही है कि अगर तेजस्वी ने अखिलेश की तरह आखिरी वक्त पर उम्मीदवार बदलने का दांव खेला, तो क्या होगा? इसके लिए बीजेपी ने प्लान बी तैयार किया है। सूत्रों की मानें, तो बीजेपी हर सीट पर दो-दो संभावित उम्मीदवारों के नाम फाइनल करके रखेगी और हालात के हिसाब से आखिरी नाम का ऐलान करेगी।
बीजेपी की सतर्कता का अंदाजा इस बात से लगाइए कि पार्टी अब बिहार में पिछड़े वर्ग के जातीय सम्मेलनों की तैयारी कर रही है। इसके लिए हर जिले में ओबीसी कार्यकर्ताओं की टीमें बनाई जा रही हैं। हर विधानसभा में 200 ओबीसी कार्यकर्ताओं को खास जिम्मेदारी दी जाएगी। बीजेपी का ओबीसी मोर्चा युवाओं और महिलाओं के बीच भी खास अभियान चलाएगा। प्लान ये है कि बिहार की 230 विधानसभा सीटों पर पिछड़े समाज से जुड़े 200-200 कार्यकर्ता एक्टिवली काम करें।
इन सारी तैयारियों का सिर्फ एक मकसद है - यूपी जैसी गलती को बिहार में दोहराने से बचना।