पटना: देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ने रविवार को अपने एक फैसले से पूरे देश की जनता को ही नहीं अपने विपक्षी दलों को भी चौंका दिया है। भाजपा में राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में बिहार के मंत्री नितिन नबीन को नियुक्त किये जाने के सवाल पर राजद ने भी ख़ुशी जाहिर की और कहा कि यह निर्णय चौंकाने वाला नहीं बल्कि यह भौचक्का करने वाला है, लेकिन जो भी है यह बिहार के लिए ख़ुशी की बात है कि हमारे माटी एक लाल को भाजपा की कमान मिली है।
इस संबंध में बात करते हुए भाजपा के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि भाजपा का यह निर्णय चौंकाने वाला नहीं बल्कि भौचक्का करने वाला है। यह ख़ुशी की बात है कि हमारे बिहार की माटी के लाल नितिन नबीन जी को पार्टी नेतृत्व ने राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान सौंपी है। नितिन नबीन जी एक मिलनसार और मेहनती कार्यकर्त्ता हैं और उनके नेतृत्व में पार्टी एक नई ऊंचाई को छुएगी। एक बिहारी होने के नाते मुझे और पूरे बिहार की जनता को ख़ुशी और गर्व है। वे एक मिलनसार और सौम्य स्वभाव के नेता के रूप में जाने जाते हैं। वे एक कर्मठ कार्यकर्ता से विधायक बने, फिर मंत्री बने और उन्हें यह जिम्मेदारी मिली तो यह ख़ुशी की बात है। इस जिम्मेवारी के लिए मैं उन्हें बधाई देता हूँ।
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इस दौरान मृत्युंजय तिवारी ने भाजपा के बयान कि हमारी पार्टी का एक साधारण कार्यकर्ता भी सबसे ऊँचे पद पर बैठ सकता है के जवाब में कहा कि अभी हम कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहते हैं बल्कि हमारे राज्य के एक युवा और मेहनती नेता को बड़ी जिम्मेवारी मिली है तो हम इस अवसर पर उन्हें सिर्फ बधाई देंगे। इस दौरान उन्होंने वोट चोरी के मुद्दे पर कांग्रेस के रैली को लेकर कहा कि अब वोट चोरी पर एक दिन का रोना रोने से नहीं होगा। हम रोना रोते जा रहे हैं और हमारे विरोधी वोटों की डकैती कर सरकार बनाते जा रहे हैं। अब समय आ गया है निर्णायक लड़ाई लड़ने का, आन्दोलन खड़ा करने का और सडकों पर उतरने का। देश के सभी विधायक और सांसद सड़कों पर आयें और निर्णायक लड़ाई लड़ कर वोट की डकैती और लोकतंत्र के चीरहरण पर अंकुश लगायें अन्यथा लोकतंत्र की हत्या हो जाएगी।
उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस की रैली के दौरान प्रधानमंत्री को लेकर विवादित बयान मामले में कहा कि भाषा की मर्यादा सभी पार्टी के नेताओं को रखनी चाहिए और लोकतंत्र को कलंकित नहीं करना चाहिए। अगर प्रधानमंत्री के ऊपर अमर्यादित टिप्पणी की जाती है तो यह गलत है। सभी पार्टी अपने नेताओं को अनुशंसा की पाठ पढाये और शब्दों के चयन पर अंकुश लगायें। लोकतंत्र में बोलने की आजादी है लेकिन अमर्यादित भाषा में नहीं बल्कि भाषा का ख्याल रखना चाहिए।
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