पटना: नई सरकार के गठन के बाद पहले विधानसभा सत्र के चौथे दिन विपक्ष ने विधान परिषद से वाक आउट किया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि हमें सदन में बोलने नहीं दिया जा रहा है। इस संबंध में एक तरफ जहां विपक्ष सत्ता पक्ष पर लोकतंत्र में अधिकार के हनन की बात कर रहा है तो दूसरी तरफ सत्ता पक्ष ने जनता के विकास कार्यों में रोड़े अटकाने का।
मामले में बात करते हुए राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि लोकतंत्र में जनता विपक्ष को सत्ता पक्ष पर अंकुश लगाने के लिए चुनती है। सदन बिहार के 13 करोड़ जनता की है और उसमें कोई कब्ज़ा करने की कोशिश करे तो यह गैर प्रजातान्त्रिक दिशा में जा रहा है और यह अनैतिक और गैरकानूनी है। इस मामले में सभापति को संज्ञान लेना चाहिए। सभापति और अध्यक्ष किसी दल के नहीं होते हैं इसलिए उन्हें प्रजातान्त्रिक मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए। सदन में जब सत्ता पक्ष या कोई भी निरंकुश हो तो सभापति और अध्यक्ष को निष्पक्ष हो कर उचित कार्रवाई करनी चाहिए।
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इस दौरान आलोक मेहता ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की सदन में गैर मौजूदगी के सवाल पर कहा कि इससे उनके देह में क्यों दर्द हो रहा है। यह अनैतिक है या गैरक़ानूनी, वे लोग बता दें। हमारा व्यक्तिगत जीवन है, हम कभी इलाज करवाने जा सकते हैं, हमारा परिवार है तो फिर इसमें आपका इतना ध्यान क्यों है। जो जनता के मुद्दे हैं और विकास के विषय हैं उस पर आपका ध्यान नहीं है और व्यक्तिगत जीवन पर सवाल उठा रहे हैं।
आलोक मेहता ने बुलडोजर एक्शन पर कहा कि बिहार में लगातार अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है उस पर सरकार का ध्यान नहीं है लेकिन गरीब लोग जो झोपडी बना कर रह रहे हैं, भूमिहीन हैं उनके ऊपर सबसे पहले कार्रवाई की जा रही है। यह सरकार की प्राथमिकता को दिखाता है। दूसरी बात बिना नोटिस दिए, बिना जवाब का इंतजार किये अगर इस तरह का काम किया जा रहा है तो यह गैर क़ानूनी है। सरकार अपनी ड्यूटी नियम कानून के तहत नहीं बल्कि एक दादा या गैंग की तरह कर रही है। लोगों को डरा कर दहशत फैलाना चाह रही है। बिहार लोकतंत्र की जननी है और बिहार की जनता देख रही है कि वोट लेने के बाद उनके साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है।
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