पटना: बिहार में नई सरकार के गठन के बाद सभी विभागों में वादों के अनुसार लगातार काम को प्राथमिकता देते हुए काम शुरू कर दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग में एक तरफ व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के लिए अलग अलग योजनाएं लागू की जा रही है तो दूसरी तरफ लापरवाह कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। इसी कड़ी में स्वास्थ्य विभाग ने एक साथ 150 से अधिक डॉक्टरों के विरुद्ध कार्रवाई करने का मन बना लिया है, इससे पहले विभाग ने सभी को चेतावनी दे दी है।
स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव उपेंद्र राम ने ऐसे सभी डॉक्टरों को 15 दिनों के अंदर अपना पक्ष रखने का मौका दिया है और कहा कि अगर जवाब नहीं दिया तो फिर एक पक्षीय कार्रवाई की जाएगी। जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग में कई ऐसे चिकित्सक हैं जो करीब 9 वर्षों से बिना सूचना ड्यूटी से गायब हैं तो कई डॉक्टर ने आज तक योगदान ही नहीं दिया है, वहीं कुछ ऐसे भी चिकित्सक हैं जिसने छुट्टी ली और फिर दुबारा अपनी ड्यूटी पर लौटा ही नहीं। अब ऐसे चिकित्सकों के विरुद्ध विभाग ने कार्रवाई का मन बना लिया है और सभी को नोटिस भेज दी गई है। 15 दिनों के अंदर अगर उनकी तरफ जवाब दाखिल नहीं किया जाता है तो फिर सभी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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ऐसे चिकित्सकों में से जयप्रकाश नारायण अस्पताल की चिकित्सा पदाधिकारी डॉ ममता आनंद 1 जून 2016 से अनुपस्थित हैं तो डुमरांव में पदस्थापित स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ माला सिन्हा योगदान देने के बाद से ही अनुपस्थित हैं। सदर अस्पताल कैमूर में पदस्थापित डॉ राजेश कुमार सिंह दिसम्बर 2016 से अनुपस्थित हैं, एक और चिकित्सक डॉ रंजू सिंह 24 अगस्त 2016 से अनुपस्थित हैं। इस तरह के कुल 150 चिकित्सक हैं जो लंबे समय से अपनी ड्यूटी से अनुपस्थित हैं। बता दें कि बिहार सेवा संहिता 1950 के नियम 74 के अनुसार अगर कोई सरकारी सेवक लगातार 5 वर्षों तक अपनी ड्यूटी से अनुपस्थित रहता है तो उसकी सेवा समाप्त हो जाती है।
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