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विश्वप्रसिद्ध सोनपुर मेला का इस दिन होगा उद्घाटन, बिहार चुनाव की वजह से देर से शुरू होगा मेला

एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा से शुरू हो कर एक महीने तक चलता है. इस बार विधानसभा चुनाव की वजह से मेला का उद्घाटन कुछ दिन देर से होगा लेकिन मेला क्षेत्र पहले से ही सज जायेगा. सारण के जिलाधिकारी ने कहा कि हमारा फोकस...

The world-famous Sonepur Fair will be inaugurated on this da
विश्वप्रसिद्ध सोनपुर मेला का इस दिन होगा उद्घाटन, बिहार चुनाव की वजह से देर से शुरू होगा मेला- फोटो : Darsh News

सारण: एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला के कार्यक्रम में इस बार थोड़ी सी तब्दीली की गई है। यह लोकप्रिय मेला इस बार बिहार चुनाव की वजह से कुछ दिनों की देरी से शुरू होगा। सोनपुर मेला का उद्घाटन ३ नवंबर को होना था और इसके हिसाब से तैयारी की जा रही थी लेकिन अब यह मेला 9 नवंबर से शुरू हो कर 10 दिसंबर तक चलेगा। मामले की जानकारी देते हुए सारण के जिलाधिकारी अमन समीर ने कहा कि चुनाव और मेला दोनों ही बड़े आयोजन हैं। दोनों ही आयोजनों में बड़ी संख्या में कर्मियों की तैनाती की जानी है इसलिए प्रशासन पहले वोटिंग पर ध्यान देगा उसके बाद मेला पर। मेला का उद्घाटन 9 नवंबर को किया जायेगा जो कि आगामी 10 दिसंबर तक चलेगा। बता दें कि सोनपुर मेला हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होता है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर को है लेकिन चुनाव की वजह से उद्घाटन की तारीख में तब्दीली की गई है। हालांकि मेला में दुकानें पहले ही सज जाएँगी और चहल पहल शुरू हो जाएगी लेकिन आधिकारिक तौर पर मेला की शुरुआत 9 नवंबर को की जाएगी।

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सोनपुर मेला का बहुत ही पुराना इतिहास है। यह धार्मिक और तौर पर भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है और यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला है। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो एक बार एक हठी स्नान कर रही थी तभी एक घड़ियाल ने उसे पकड़ लिया। दोनों के बीच काफी देर तक युद्ध हुआ और अंत में हाथी हारते वक्त भगवान विष्णु को बुलाने लगी। भगवान बुलावे के बाद प्रकट हुए और उसे घड़ियाल से बचाया तथा घड़ियाल को मार दिया। तब से ही यहां हर वर्ष मेले में हजारों की संख्या में हाथी लाये जाते हैं और स्नान कराया जाता है। इसके अलावा इस मेला में पशुओं की खरीद बिक्री भी खूब होती है। इस मेले में सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र हाथी, घोडा, ऊंट, गाय, भैंस समेत अन्य पशु और पक्षी होते हैं जबकि यहां अन्य घरेलू सामानों की बिक्री के लिए भी दुकाने लगाई जाती है। गंगा-गंडक के संगम पर इस मेले को हरिहर क्षेत्र की शान माना जाता है। इस मेले में नाव दौड़, कुश्ती व सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। पर्यटन विभाग ने स्विस कॉटेज और कैंप लगाने की भी तैयारी की है ताकि पर्यटक आराम से रह सकें।

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