 
                        खबर पश्चिम चंपारण जिले के बगहा से है जहां प्रकृति में एक ऐसा जीव है जो प्रेम और निष्ठा की सबसे बड़ी मिसाल पेश करता है. जहां इंसान बदलते समय के साथ अपने रिश्तों को तोड़ देता है, वहीं सारस जीवनभर अपने एक ही साथी के प्रति समर्पित रहता है. सारस पक्षी की प्रेम कहानी हमें सच्चे प्रेम और समर्पण का वास्तविक अर्थ समझाती है. यह पक्षी जीवनभर अपने साथी के साथ रहता है और यदि किसी कारणवश एक साथी की मृत्यु हो जाए, तो दूसरा साथी वियोग में खाना-पीना छोड़कर खुद भी दम तोड़ देता है. इसकी यह निष्ठा और प्रेम इंसानों के रिश्तों के लिए एक प्रेरणा है. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) न केवल बाघों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह पक्षी प्रेमियों के लिए भी स्वर्ग के समान है. यहां 300 से अधिक प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं, जिनमें सारस क्रेन विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र होते हैं. धान के खेतों और जलाशयों के पास ये पक्षी अक्सर जोड़े में देखे जाते हैं, जो प्रेम और सद्भाव का अनूठा दृश्य प्रस्तुत करते हैं. सारस सीखाते हैं प्रेम का अर्थ. यह पक्षी जीवनभर अपने साथी के प्रति निष्ठावान रहता है और यदि किसी कारणवश एक साथी की मृत्यु हो जाए, तो दूसरा साथी वियोग में प्राण त्याग देता है. इसी कारण इसे प्रेम का प्रतीक माना जाता है.
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) न केवल बाघों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह पक्षी प्रेमियों के लिए भी स्वर्ग के समान है. यहां 300 से अधिक प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं, जिनमें सारस क्रेन विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र होते हैं. धान के खेतों और जलाशयों के पास ये पक्षी अक्सर जोड़े में देखे जाते हैं, जो प्रेम और सद्भाव का अनूठा दृश्य प्रस्तुत करते हैं. सारस सीखाते हैं प्रेम का अर्थ. यह पक्षी जीवनभर अपने साथी के प्रति निष्ठावान रहता है और यदि किसी कारणवश एक साथी की मृत्यु हो जाए, तो दूसरा साथी वियोग में प्राण त्याग देता है. इसी कारण इसे प्रेम का प्रतीक माना जाता है.
इधर, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महर्षि वाल्मीकि ने रामायण का पहला श्लोक तभी रचा था जब उन्होंने एक शिकारी द्वारा सारस युगल में से एक की हत्या होते देखी थी. वाल्मीकि रामायण का पहला श्लोक इस प्रकार है-
"मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः।
यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधीः काममोहितम्॥" दरअसल, महर्षि वाल्मीकि जब तमसा नदी के तट पर तपस्या कर रहे थे, तब उन्होंने प्रेम में मग्न क्रौंच पक्षियों के एक जोड़े को देखा. उसी समय, एक शिकारी ने नर पक्षी का वध कर दिया, जिससे मादा पक्षी अत्यंत दुखी हो गई. इस करुण दृश्य को देखकर वाल्मीकि के हृदय में वेदना जागी और उनके मुख से स्वतः यह श्लोक निकल पड़ा, जो आगे चलकर रामायण की रचना का आधार बना. सारस पक्षी के बारे में रोचक तथ्य है कि, सारस पक्षी अपने जीवनसाथी के प्रति पूर्ण निष्ठा रखते हैं. वे एक बार जो जोड़ी बनाते हैं, जीवनभर साथ रहते हैं. सारस अपनी बुलंद आवाज़ के लिए जाने जाते हैं, जो 2-3 किलोमीटर दूर तक सुनी जा सकती है. जोड़े अक्सर समन्वय में ‘डुएट कॉलिंग’ करते हैं. गौरतलब है कि, सारस क्रेन दुनिया के सबसे ऊंचे उड़ने वाले पक्षियों में से एक हैं, जो 5,000 फीट तक की ऊंचाई तक उड़ सकते हैं. सारस माता-पिता अपने बच्चों के प्रति बेहद स्नेही होते हैं और उन्हें कई महीनों तक सुरक्षा और भोजन प्रदान करते हैं.
दरअसल, महर्षि वाल्मीकि जब तमसा नदी के तट पर तपस्या कर रहे थे, तब उन्होंने प्रेम में मग्न क्रौंच पक्षियों के एक जोड़े को देखा. उसी समय, एक शिकारी ने नर पक्षी का वध कर दिया, जिससे मादा पक्षी अत्यंत दुखी हो गई. इस करुण दृश्य को देखकर वाल्मीकि के हृदय में वेदना जागी और उनके मुख से स्वतः यह श्लोक निकल पड़ा, जो आगे चलकर रामायण की रचना का आधार बना. सारस पक्षी के बारे में रोचक तथ्य है कि, सारस पक्षी अपने जीवनसाथी के प्रति पूर्ण निष्ठा रखते हैं. वे एक बार जो जोड़ी बनाते हैं, जीवनभर साथ रहते हैं. सारस अपनी बुलंद आवाज़ के लिए जाने जाते हैं, जो 2-3 किलोमीटर दूर तक सुनी जा सकती है. जोड़े अक्सर समन्वय में ‘डुएट कॉलिंग’ करते हैं. गौरतलब है कि, सारस क्रेन दुनिया के सबसे ऊंचे उड़ने वाले पक्षियों में से एक हैं, जो 5,000 फीट तक की ऊंचाई तक उड़ सकते हैं. सारस माता-पिता अपने बच्चों के प्रति बेहद स्नेही होते हैं और उन्हें कई महीनों तक सुरक्षा और भोजन प्रदान करते हैं. बेतिया से आशिष कुमार की रिपोर्ट
बेतिया से आशिष कुमार की रिपोर्ट