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तिरहुत स्नातक से MLC के रुप में मिलेगा नया चेहरा,उपचुनाव में 18 प्रत्याशी मैदान में..

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Muzaffarpur :- तिरहुत स्नातक विधान परिषद उपचुनाव के लिए नामांकन का दौर समाप्त हो गया है । इस क्षेत्र से कुल 18 प्रत्याशियों ने नामांकन का पर्चा दाखिल किया है जिसमें राजेश रोशन नामक प्रत्याशी की चुनाव प्रचार में जाने से पहले ही मौत हो गई है। वहीं इस क्षेत्र से दो महिला प्रत्याशी ने भी उपचुनाव में अपनी किस्मत आजमाने के लिए ताल ठोका है। 

जहां तक इस क्षेत्र का सवाल है पिछले लगभग चार दशकों में दो प्रत्याशियों ने ही अपना कब्जा जमा रखा था । जिसमें निवर्तमान विधान परिषद सदस्य देवेश चंद्र ठाकुर और पूर्व विधान परिषद सदस्य रामकुमार सिंह शामिल हैं। मौजूदा चुनाव में जहां देवेश ठाकुर के बाद अभिषेक झा राजग गठबंधन के समर्थित प्रत्याशी के रूप में जद यू से चुनाव लड़ रहे हैं । वहीं पूर्व विधान परिषद सदस्य रामकुमार सिंह के पुत्र डॉ विनायक गौतम भी पहली बार राजनीति में कदम रखते हुए जन सुराज के प्रत्याशी के रूप में चुनाव क्षेत्र में है। अन्य प्रत्याशियों में राजद से गोपी किशन है जबकि अन्य प्रत्याशियों में प्रणय कुमार, बंशीधर बृजवासी, प्रमुख चेहरा होंगे वहीं जद यू से बागी बने पूर्व महा नगर  अरविंद कुमार विभात, भाजपा नेता रहे मनोज कुमार वत्स भी चुनावी रण में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
सभी प्रत्याशियों की सूची देखें तो NDA  से अभिषेक झा INDIA  गठबंधन से गोपी किशन और जन सुराज से डॉ विनायक गौतम ने नामांकन किया है वही निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में राकेश रोशन, संजीव भूषण, राजेश कुमार रौशन (मृत्यु),  बंसीधर बृजवासी, ऋषि कुमार अग्रवाल , प्रणय कुमार, संजीव कुमार, अरुण कुमार जैन, एहतेशामुल हसन रहमानी,अरविंद कुमार विभात , मनोज कुमार बत्स, संजय कुमार, रिंकू कुमारी, भूषण महतो और संजना भारती कुल 18 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किया।

 यह पहला मौका है जब तिरहुत स्नातक उपचुनाव में रिंकू कुमारी और संजना भारती नामक दो महिला उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में है ।वही एक मुस्लिम उम्मीदवार एहतेशामुल  हसन रहमानी ने भी अपनी दावेदारी रखी है। कुल मिलाकर देखें तो इस चुनाव के लिए शिक्षक डॉक्टर प्रोफेसर इंजीनियर के साथ-साथ व्यवसायी और आयुष चिकित्सक भी जन प्रतिनिधित्व के लिए मैदान में खड़े हैं। हालांकि यह चुनाव पिछले कुछ दशकों में व्यक्ति प्रधान हो कर रह गया है अगर दो दशक की बात करें तो देवेश चंद्र ठाकुर का चेहरा दलों का मोहताज नहीं रहा। उन्होंने दलीय सिंबल के साथ-साथ  निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी इस क्षेत्र से चुनाव जीत कर अपनी महत्ता साबित की ।वहीं उनसे पहले स्वर्गीय रघुनाथ पांडे के दामाद रामकुमार सिंह ने लगातार तीन बार तिरहुत स्नातक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। ऐसा कहा जाता है कि तब स्वर्गीय पांडे का कद और दबदबा इनकी जीत का प्रमुख कारण हुआ करता था। जैसे ही घर में पारिवारिक कलह उजागर हुए रामकुमार सिंह चुनावी रण में निरंतर पिछड़ते चले गए । शिक्षक नेता के रूप में प्रणय कुमार ने भी इस क्षेत्र से अपार मत हासिल किया था हालांकि वह नजदीकी मुकाबले में देवेश चंद्र ठाकुर से पिछड़ गए अन्यथा चुनाव का परिणाम बदल सकता था। 

जहां तक उप चुनाव का सवाल है इस क्षेत्र से नए प्रत्याशी का निर्वाचित होना तय है क्योंकि इस बार चुनावी रण में कोई भी प्रत्याशी ऐसा नहीं है जिसने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। जिस तरह से प्रशासन और चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की ओर से स्नातक मतदाताओं को जागरुक कर मतदाता सूची में जोड़ा गया है । यह चुनाव भी रोचक हो गया है। अब देखना यह है की अभी से बाहरी बनाम स्थानीय का हवा बनाकर मतदाताओं को अलग रंग में रंगने की जो होड़ छिड़ी है उसका परिणाम किस रूप में सामने आता है । वैसे भी पर्दे के पीछे हो या सामने से निवर्तमान विधान परिषद सदस्य सह सांसद देवेश चंद्र ठाकुर अपने उतराधिकारी अभिषेक झा के लिए दलबल के साथ प्रचार अभियान में शामिल होंगे । वहीं  विनायक गौतम के रूप में प्रशांत किशोर के साथ-साथ पूर्व विधान पार्षद रामकुमार सिंह के लिए भी यह चुनाव अग्नि परीक्षा के रूप में होगी। जबकि शिक्षक नेता प्रणय कुमार और बंशीधर बृजवासी को लेकर मतदाता दुविधा में भी जा सकते हैं और मतों का बंटवारा अन्य प्रत्याशियों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है। जहां तक महिला प्रत्याशियों की दावेदारी का सवाल है चार जिले को मिलाकर होने वाले मतदान में इनका दावा कितना मजबूत होगा
यह तो आने वाला दिन बताएगा लेकिन स्नातक मतदाताओं के लिए खुशी की बात यही है जिस रूप में भी हो एक नया चेहरा विधान परिषद में उनका प्रतिनिधित्व करेगा।
मुजफ्फरपुर से मुकेश ठाकुर की रिपोर्ट 

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