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औरंगाबाद की दो बेटियां पहले ही प्रयास में BPSC पास कर बन गई जज..

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Aurangabad-  बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा असैनिक न्यायाधीश(कनीय कोटि) के पदों पर बहाली के लिए आयोजित 32वीं बिहार न्यायिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा में औरंगाबाद की दो बेटियों ने भी पहले ही प्रयास में सफलता का परचम लहराया है, इसके बाद इन दोनों को बधाई एवं शुभकामनाएं लगातार मिल रही है.

 इस परीक्षा में सफलता हासिल करने वाली औरंगाबाद की इन दो बेटियों में एक औरंगाबाद शहर के श्रीकृष्ण नगर की निश्चया और देव के नरसिंहा गांव की दिव्या शामिल है। दोनों ने ही पहले प्रयास में ही यह सफलता हासिल की है। दोनों की सफलता पर उनके परिवार में खुशी का माहौल है। निश्चया के पिता नीलमणि कुमार सामाजिक कार्यकर्ता है जबकि उसकी मां रंजू कुमारी कटुम्बा प्रखंड के चनकप में राजकीय प्राथमिक विद्यालय में नियोजित शिक्षिका है। वही उसकी दादी मीना देवी गृहिणी है और दादा सुरेंद्र पांडेय रिटायर्ड सरकारी कर्मी है, जो वर्तमान में अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के औरंगाबाद जिला मंत्री भी है, जबकि मामा संजय कुमार उतर प्रदेश में आइएएस अधिकारी और मामी अपर्णा भारद्वाज दुनियां के सात उच्चे पर्वतों के शिखर को फतह करने वाली चर्चित माउंटेनियर और  आइपीएस अधिकारी है, जो उतराखंड में आईटीबीपी में कार्यरत हैं। वही चाचा नीलकमल कुमार बेंगलुरू की एक कंपनी में सॉफ्टवेयर ईंजीनियर है जबकि एक और बड़े मामा कपिल कुमार सामाजिक कार्यकर्ता है। निश्चया का मात्र एक छोटा भाई नेहम कुमार सिविल ईंजीनियर है, जो एनएचएआई का काम कर रहे एक रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी में कार्यरत है। 

निश्चया की सफलता से पूरे परिवार में खुशी का माहौल है और सभी उसे बधाई और शुभकामना दे रहे है। बेटी की सफलता से बेहद खुश निश्चया के पिता नीलमणि और मां रंजू कहती है कि हमारे पूरे परिवार में पढ़ने-लिखने का माहौल है और उन्होने बेटी और बेटे में कभी भी फर्क नही किया। दोनों को समान रूप से पढ़ने और आगे बढ़ने का अवसर दिया। इसी का नतीजा है कि पहले छोटा और इकलौता बेटा ईंजीनियर बन कर जॉब में आया और अब बड़ी व इकलौती बेटी भी जज बन रही है।

 निश्चया के दादा सुरेंद्र पांडेय कहते है कि जब पोती ने लॉ की पढ़ाई शुरु की तो उसी वक्त मुझे यह उम्मीद हो गया था कि निश्चया जज जरूर बनेगी और उसने ऐसा कर मेरी उम्मीद पूरी कर दी है। वही दादी मीना देवी कहती है कि पोती मेरी लाडली है। वह खुब मन लगाकर पढ़ाई करती थी। इस वजह से उसे सफलता मिली।  निश्चया बताती है कि उसने दसवीं तक की पढ़ाई औरंगाबाद के डीएवी स्कूल से पूरी की और इंटर बिहार बोर्ड से की। इसके बाद कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट(क्लैट) पास कर बेंगलुरू के केएलई कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद गुजरात के आमदाबाद के नेशनल लॉ कॉलेज से एलएलएम किया। इसके बाद जेआरएफ-नेट की परीक्षा को भी क्वालिफाई किया। अभी वर्तमान में वह पटना विश्वविद्यालय में साक्ष्य और संविधान पर शोध करते हुए पीएचडी कर रही है। 

सफल निश्चया ने कहा कि उसने पढ़ाई और जॉब की तैयारी दोनों ही साथ-साथ जारी रखी क्योकि बीच में कोविड-19 काल के दौरान वैकेंसी नही आ रही थी। जैसे ही बिहार ज्यूडिसियल सर्विसेज की यह वैकेंसी आई, वैसे ही उसने फॉर्म फिलअप कर दिया। पीटी के बाद मेंस और इंटरव्यू के बाद फाइनल रिजल्ट में जब वह 43वें नंबर पर आई तो उसकी खुशी का ठिकाना नही रहा। वह अपनी सफलता से बेहद खुश है और इसका श्रेय उसके माता-पिता और पूरे परिवार को जाता है। सबने मिलकर मेरा मार्गदर्शन किया। हर समय हौसला बढ़ाया जिसका परिणाम है कि मुझे यह सफलता मिली।  वह कहती है कि हार्ड वर्क के अलावा सफलता का कोई सबस्टिट्यूट नही है। सफलता हासिल करना और जीवन में आगे बढ़ना है तो मेहनत करनी ही होगी। एक बार में सफलता नही मिलती है तो बार-बार प्रयास करे, सफलता तो मिलेगी ही। 

 वहीं न्यायिक सेवा परीक्षा में सफलता हासिल करने वाली औरंगाबाद की दूसरी बेटी दिव्या देव के नरसिंहा गांव के स्व. विजय सिंह की चतुर्थ सुपुत्री है। उसकी सफलता पर भी उसके गांव और परिवार में खुशी का माहौल है।  दिव्या ने भी अपने पहले प्रयास में बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित 32वीं न्यायिक सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की है। उसे भी बधाई देने के लिए परिवार के सगे-संबंधियों एवं शुभचिंतकों का तांता लगा हुआ है।

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