राष्ट्रीय लोक मोर्चा के कैंप कार्यालय में भारत की पहली महिला शिक्षिका की जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश महासचिव सह प्रवक्ता ई० हेमंत कुमार ने राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सांसद उपेन्द्र कुशवाहा के संदेश को पढ़कर सुनाया | श्री उपेन्द्र कुशवाहा ने मांग की भारत की पहली महिला शिक्षिका माता सावित्रीबाई फुले को भारत रत्न मिले और 03 जनवरी को देशभर में "महिला शिक्षक दिवस" के रूप में मनाया जाए | श्री कुशवाहा ने बताया कि सावित्रीबाई फुले अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया करती थी जिनका उद्देश्य केवल सामाजिक कुरीतियों को दूर करना था जिसमें विधवा विवाह, बाल विवाह, छुआछूत, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना था।लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी। लेकिन सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया। सावित्रीबाई फुले ने 19वीं सदी में महिला शिक्षा, लिंग समानता और सामाजिक सुधार के लिए अद्वितीय योगदान दिया। उन्होंने पहले लड़कियों के स्कूल की स्थापना की, साथ ही साथ अपने लेखन के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन की वकालत की। उनका समर्पण और साहस हमें प्रेरणा देता है। माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि देने वाले अन्य नेताओं में प्रदेश उपाध्यक्ष बबन यादव, मोहन यादव, प्रदेश महासचिव प्रशान्त पंकज, पप्पू मेहता, अनुसूचित जाति प्रदेश अध्यक्ष अशोक राम, अशोक कुशवाहा, अमरेन्द्र कुशवाहा, रवि प्रताप काश्यप, सुमन सिंह, श्रवण कुमार, रितेश रंजन, मोहनलाल, विनोद कुमार पप्पू, सुरेश पासवान उमेश साव, अजय गुप्ता, मोo आशिक मोo क्लुमुदिन इत्यादि उपस्थित रहे ।