देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बौद्धिक अक्षमता वाले एथलीटों के लिए खेलों को बढ़ावा देने वाले राष्ट्रीय महासंघ स्पेशल ओलंपिक की दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में शुरुआत की. भारत में आयोजित हो रही स्पेशल ओलंपिक एशिया पैसिफिक बोचे और बॉलिंग प्रतियोगिता वैश्विक स्तर पर इस तरह का पहला इवेंट है. यह 22 वर्ष या उससे अधिक आयु के बौद्धिक और विकासात्मक विकलांगता (आईडीडी) वाले एथलीटों के लिए करवाया जा रहा है।
एक हिंदी न्यूज की माने तो, यह प्रतियोगिता वंचित आयु वर्ग के खिलाड़ियों को अपनी क्षमता दिखाने का मौका देगी. ये वो खिलाड़ी हैं जिनकी खेलों में भागीदारी आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ कम होती जाती है. इस स्पेशल ओलंपिक में भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, म्यांमार, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपींस, हॉन्ग कॉन्ग, मकाऊ, उज्बेकिस्तान और बांग्लादेश सहित 12 देशों के 100 से अधिक एथलीट हिस्सा ले रहे हैं.
वहीं, इस खास मौके पर देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक नया नारा भी दिया. उपराष्ट्रपति ने कहा कि, "किताब भी जरूरी खेल भी जरूरी दोनों के बिना जिंदगी अधूरी." जगदीप धनखड़ ने कहा कि, हम सबके लिए ये खास मौका कि हम इस स्पेशल ओलंपिक का आयोजन कर रहे हैं. यह अपने आप में बहुत ही विशेष कार्यक्रम है. इस तरह के कार्यक्रम के लिए हम अपने विशेष खिलाड़ियों को मौका देते हैं. सरकार द्वारा चलाई जा रही अलग-अलग स्कीम का सीधा फायदा हमारे खिलाड़ियों को मिल रहा है. इस तरह भारत 2036 ओलंपिक की मेजबानी के लिए खुद को तैयार भी कर रहा है.