उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा भारत के ये महान सपूत कर्पूरी ठाकुर जी सामाजिक न्याय के मसीहा हैं। संक्षिप्त काल में उन्होंने सामाजिक व राजनीतिक कायाकल्प का नया इतिहास लिखा। उन्होंने सदियों की जड़ता को तोड़ राज्य के बड़ी आबादी के लिए संभावनाओं के अपार द्वार खोले।
उपराष्ट्रपति ने कहा यह वह महापुरुष हैं जिन्होंने समता युग की नई शुरुआत की। उन्होंने अपना जीवन उनके लिए समर्पित किया जो समाज के हाशिये पर थे, जिनका कोई ध्यान नहीं दे रहा था।
इस दौरान कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय गृह राज्य राज मंत्री नित्यानंद राय, स्थानीय सांसद शांभवी चौधरी भी मौजूद रहीं।समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ठाकुर ने सुनिश्चित किया कि शिक्षा उन लोगों के लिए सुलभ हो जो ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर थे। उन्होंने कहा कि ठाकुर ने मैट्रिक परीक्षा में अंग्रेजी में पास होने की अनिवार्यता को हटा दिया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे देश के ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने सामाजिक रूप से हाशिए पर खड़े लोगों के लिए सरकारी नौकरी में आरक्षण लागू किया।इससे पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कर्पूरी जिला स्मृति भवन में कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और सर्वधर्म प्रार्थना में शामिल हुए। इस अवसर पर कर्पूरी ठाकुर के पुत्र और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने उन्हें अंग वस्त्र और पुस्तक वॉइस आफ द वॉइसलेस भेंट की।इस दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ कर्पूरी फुलेश्वरी महाविद्यालय परिसर में आयोजित कर्पूरी परिचर्चा में भी शामिल हुए। जहां उपराष्ट्रपति ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर का पूरा जीवन जनता के लिए समर्पित रहा। वो लोगों के लिए जननायक हैं। विधानसभा चुनाव में उनको कीर्तिमान प्राप्त है। हमारी आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज के हासिए पर रहने वाले लोगों को समर्पित कर दिया।भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर ने सामाजिक न्याय को बढ़ावा देकर देश में एक अद्वितीय छाप छोड़ी। कठिन और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद, उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त करने का संकल्प पूरा किया। अपने जीवन में, उन्होंने कभी भी कोई व्यक्तिगत संपत्ति अर्जित नहीं की और अपना पूरा जीवन जनता की सेवा को समर्पित कर दिया। वे विधानसभा चुनाव कभी नहीं हारे, जो अपने आप में एक कीर्तिमान है। बिहार जैसे राज्य में, वे पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने।उपराष्ट्रपति ने रुद्राक्ष और चंदन के पेड़ लगाए। साथ ही रामनाथ ठाकुर की पोती के द्वारा बनवाई गई कर्पूरी के झोपड़ी का जायजा लिया, जिस तरह की झोपड़ी में कर्पूरी ठाकुर ने अपना पूरा जीवन एक झोपडी में व्यतीत किया था। उसी तरह इस झोपड़ी को कर्पूरी ठाकुर की याद में निर्माण कराया गया है।
समस्तीपुर से प्रियांशु की रिपोर्ट