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हमारी सांस्कृतिक एकता का द्योतक है मकर संक्रांति : विजय कुमार सिन्हा

Vijay sinha on makar sakranti

बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा के सरकारी आवास पर राष्ट्रीय युवा दिवस (स्वामी विवेकानंद जयंती) एवं मकर संक्रांति के अवसर  पर सांस्कृतिक कार्यक्रम साथ  सहभोज कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम की शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगमन के साथ हुआ । मुख्यमंत्री के साथ विधानसभा के अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सह राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल भी शामिल हुए ।

    इस मौके पर बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया । साथ ही राज्यपाल द्वारा  कार्यक्रम में आए पत्रकारों तथा कलाकारों को सम्मानित किया । ल राज्यपाल ने इस अवसर पर मकर संक्रांति से जुड़े पारंपरिक व्यंजनों का भी आनंद लिया । माननीय राज्यपाल के संग राज्य के सहकारिता मंत्री श्री प्रेम कुमार, पटना साहिब के सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद तथा जद(यू) के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा भी शरीक हुए । इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर पूरे दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा चूड़ा-दही, खिचड़ी जैसे मकर संक्रांति से जुड़े पारंपरिक व्यंजनों के सहभोज का भी आयोजन किया गया ।इस अवसर पर श्री सिन्हा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद की जयंती एवं मकर संक्रांति के साथ यह अवसर प्रयागराज में महाकुंभ के शुभारंभ का भी है । इसलिए आज एक प्रकार से अवसर की त्रिवेणी में हम एकत्रित हुए । यह आयोजन  सार्वजनिक जीवन के बिल्कुल शुरुआती दिनों से मेरे यहाँ होता रहा है । इस दिन मुख्यरूप से हम अपने सरस्वती-पुत्र पत्रकार बंधुओं का सम्मान करते हैं । लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में हमारे पत्रकार बंधु शासन और समाज दोनों को सजग करते हैं । अतः राज्य के समेकित विकास में उनकी निर्णायक भूमिका के प्रति आभारी होना चाहिए ।श्री सिन्हा ने कहा कि मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव दक्षिणायण से उत्तरायण की ओर गमन करते हैं । खगोलीय दृष्टि से सूर्य का प्रवेश कर्क राशि से मकर राशि की ओर होता है । हमारी सनातन संस्कृति में इस अवसर का व्यापक महत्व है । इसे भय, भ्रम और भ्रांति को तोड़कर मानवता के ज्ञान, बोध और ऊर्जा की ओर यात्रा के रूप में देखा जाता है । यही कारण है कि भारत के हर क्षेत्र में इस अवसर को सांस्कृतिक-पर्व के रूप में मनाया जाता है । सही मायने में यह अवसर हमारी सांस्कृतिक एकता को निरूपित करने वाला उत्सव है ।

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