आज से बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024 की शुरूआत हो गई है. दोनों टीम के खिलाड़ियों के बीच रोमांचक मुकाबला देखने के लिए मिल रहा है. ऐसे में फैंस को कहीं ना कहीं हार्दिक पांड्या की कमी खल रही है. वहीं, एक सवाल यह भी उठ रहे हैं कि, आखिरकार हार्दिक पांड्या बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का हिस्सा क्यों नहीं बने ? बता दें कि, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024 के भारतीय स्क्वाड में अनुभवी और युवा खिलाड़ियों का बेजोड़ मिश्रण है. विराट कोहली चाहे फॉर्म में ना हों, लेकिन उनकी मौजूदगी ही भारतीय टीम को विपक्षी टीम पर मानसिक बढ़त दिलाने के लिए काफी होती है.
वहीं, टीम में ऋषभ पंत जैसा टॉप विकेटकीपर और बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में पहले भी शानदार पारियां खेल चुका वर्ल्ड-क्लास बल्लेबाज है. इधर, ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में जसप्रीत बुमराह को जैसे पेश किया गया है, उसे देख साफ हो जाता है कि कंगारू टीम बुमराह से कहीं ना कहीं डरी हुई महसूस कर रही है. लेकिन, भारतीय स्क्वाड में हार्दिक पांड्या दूर-दूर तक नजर नहीं आते और उनके बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में ना खेलने का कारण आखिर क्या है ? हार्दिक पांड्या एक वर्ल्ड-क्लास तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर हैं, इस बात में कोई संदेह नहीं है. व्हाइट बॉल क्रिकेट में उनके आंकड़े बहुत शानदार हैं, लेकिन अगस्त 2018 के बाद उन्होंने किसी टेस्ट मैच में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व नहीं किया है.
हार्दिक पांड्या की फिटनेस उनके टेस्ट मैचों में ना खेलने का एक मुख्य कारण है. 2018-19 के समय में कमर में दर्द की समस्या पांड्या पर हावी होने लगी थी, जिसके कारण उन्होंने गेंदबाजी करना तक बंद कर दिया था. टेस्ट फॉर्मेट में गेंदबाजों को लंबे-लंबे स्पेल बॉलिंग करनी होती है, लेकिन चोटों का इतिहास हार्दिक के शरीर को लंबे बॉलिंग स्पेल डालने की इजाजत नहीं देता. लगातार चोटिल होने का ही नतीजा है कि पांड्या को वनडे मैचों में बहुत कम बार 10 ओवर गेंदबाजी करते देखा जाता है. फिटनेस सबसे बड़ा कारण है कि हार्दिक की 2018 के बाद टेस्ट टीम में वापसी नहीं हुई है.