चैंपियंस ट्रॉफी शुरू होने से पहले पाकिस्तान को बड़ा झटका लग गया है. हालांकि, यह झटका क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों को नहीं बल्कि फुटबॉल टीम के खिलाड़ियों को लगा है. पाकिस्तान में खेलों की हालत कितनी नाजुक है, यह तो किसी से छिपी नहीं है लेकिन इन बीच चौंकाने वाला फैसला FIFA की ओर से लिया गया. खिलाड़ियों को अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं मिल पाता है, जबकि खेल संघों में भी राजनीति घुसी हुई है. यही कारण है कि फुटबॉल इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन यानी FIFA ने पाकिस्तान की फुटबॉल को बैन कर दिया है.बड़ी वजह यही बताई जा रही है कि, पाकिस्तान फुटबॉल फेडरेशन अपने संविधान में बदलाव नहीं कर पाया और ना ही लोकतांत्रिक तरीके से वहां इलेक्शन हो सके. ऐसे में फीफा ने पाकिस्तान फुटबॉल को बैन कर दिया है. पाकिस्तान फुटबॉल महासंघ (पीएफएफ) फीफा की आवश्यकता के अनुसार, अपने संविधान को संशोधित करने में विफल रहा है, जिससे इसकी सामान्यीकरण प्रक्रिया में निष्पक्ष और लोकतांत्रिक चुनावों में देरी हो रही है. फीफा इस तरह का कड़ा फैसला अक्सर देश के संघों के खिलाफ लेती रही है, क्योंकि इससे पारदर्शिता इस खेल में बनी रहती है.
इधर, पाकिस्तान इस पर कोई ऐक्शन नहीं ले रहा है. फीफा की ओर से कई बार पाकिस्तान को इस बारे में चेतावनी दी गई है, लेकिन इस पर पाकिस्तान फुटबॉल महासंघ ने काम नहीं किया है और अब उनको बैन झेलना पड़ा है. हालांकि यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि, यह बैन आजीवन नहीं है. यानी कि, इसे हटाया भी जा सकता है. बता दें, पाकिस्तान 1948 में फीफा का सदस्य बना और 1950 में एशियाई फुटबॉल परिसंघ में शामिल हो गया. पाकिस्तान की राष्ट्रीय टीम ने 1950 में पदार्पण किया और अभी तक पाकिस्तान की टीम फीफा विश्व कप फाइनल में नहीं पहुंची.