पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में एक तरफ NDA और महागठबंधन में अब तक भले ही अभी तक सीट शेयरिंग पर बात नहीं बनी हो लेकिन कांटे की टक्कर जरूर नजर आ रही है। विधानसभा चुनाव में एक तरफ जहां NDA के सामने अपनी सत्ता बचाने की चुनौती है तो दूसरी तरफ महागठबंधन के सामने NDA सरकार हटा कर अपनी सरकार बनाने की। हालांकि पिछले 20 वर्षों की NDA सरकार में विकास कार्य उसके लिए सकारात्मक पहलू है तो दूसरी तरफ युवा वर्ग में तेजस्वी के प्रति विश्वास। हालांकि एक बड़ा तबका अब भी लालू - राबड़ी कार्यकाल की वजह से आशंकित जरूर हैं जिसका नुकसान महागठबंधन को उठाना पड़ सकता है। इस के साथ NDA और महागठबंधन के सामने एक और बड़ी चुनौती दिखाई दे रही है और वह चुनौती है प्रशांत किशोर की जन सुराज, राजद सुप्रीमो लालू यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव की जनशक्ति जनता दल और आम आदमी पार्टी।
प्रशांत किशोर (PK) का प्रभाव
प्रशांत किशोर लंबे समय तक चुनावी रणनीतिकार की भूमिका निभाते रहे हैं, लेकिन अब वे सीधे राजनीति में सक्रिय हैं। उनकी ‘जन सुराज यात्रा’ और जनता से सीधे जुड़ने की कोशिश उन्हें तीसरा विकल्प बना सकती है। वे न तो पूरी तरह एनडीए के साथ हैं और न ही महागठबंधन के, ऐसे में उनका वोट शेयर सीधा-सीधा बड़े दलों का नुकसान कर सकता है। खासकर शहरी और युवा मतदाताओं में उनकी पकड़ बन सकती है। इसका एक उदाहरण पिछले विधानसभा उप चुनाव में भी देखने को मिला। उप चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज की वजह से महागठबंधन को भारी नुकसान झेलना पड़ा और अपनी सीटिंग सीट भी गंवानी पड़ी थी। हालांकि प्रशांत किशोर ने अब तक किसी भी गठबंधन के साथ जाने के कोई संकेत नहीं दिए हैं।
तेज प्रताप यादव बिगाड़ेंगे भाई का खेल
तेज प्रताप यादव महागठबंधन के भीतर एक अनोखी स्थिति में हैं। कभी अपने बयानबाज़ी और अलग शैली की वजह से चर्चा में रहने वाले तेज प्रताप अब धीरे-धीरे अपनी अलग राजनीतिक पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं। राजद सुप्रीमो लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव भी पार्टी और परिवार से निकाले जाने के बाद से लगातार क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने अपनी पार्टी जनशक्ति जनता दल के बैनर तले अपने उम्मीदवार उतारने का निर्णय लिया है और घूम घूम कर वोटबैंक को लामबंद भी कर रहे हैं। कभी अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की बात करने वाले तेज प्रताप यादव अब उनके ही विरुद्ध चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
हालांकि तेज प्रताप राजद या तेजस्वी के विरुद्ध बयान देने से बचते हुए जरूर नजर आते हैं लेकिन तेजस्वी के करीबियों पर हमले का कोई मौका नहीं चूकते हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो विधानसभा चुनाव के दौरान तेज प्रताप यादव या उनकी पार्टी को जो भी वोट मिलेगा उसमें अधिकतम वोट राजद का ही कर कर मिलेगा। ऐसे में यह बात तो तय है कि तेज प्रताप यादव तेजसी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बन कर खड़े हैं और सबसे अधिक नुकसान भी वही पहुंचाएंगे, क्योंकि उनकी सक्रियता से यादव वोटबैंक में खींचतान की संभावना भी बन सकती है।
आम आदमी पार्टी का प्रवेश
आम आदमी पार्टी ने भले ही बिहार में अभी मजबूत जड़ें नहीं जमाई हैं, लेकिन दिल्ली और पंजाब की तरह वे शिक्षा, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार विरोधी एजेंडे पर चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। आप का लक्ष्य शायद इस बार ज्यादा सीट जीतना न होकर एक ‘विकल्प’ की छवि बनाना हो। अगर आप ने शहरी क्षेत्रों और युवाओं को प्रभावित किया, तो इसका नुकसान एनडीए और महागठबंधन दोनों को हो सकता है।
ओवैसी भी बिगाड़ेंगे राजद का खेल
इसके साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले हैदराबाद के सांसद और AIMIM के प्रमुख ओवैसी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष के जरिए लालू यादव को पत्र लिख कर महागठबंधन में उनकी पार्टी को शामिल करने की मांग की थी। ओवैसी की पार्टी ने अपने पत्र में कहा था कि हमलोगों के अलग अलग चुनाव लड़ने से अल्पसंख्यक वोट बंट जाता है और इसका फायदा भाजपा और NDA को मिल जाता है इसलिए अल्पसंख्यक वोट का बिखराव और भाजपा का विजय अभियान रोकने के लिए सबको एक साथ मिल कर लड़ना चाहिए। बदले में ओवैसी की पार्टी ने 6 सीटों की मांग थी लेकिन लालू - तेजस्वी ने पत्र का जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझा जिसके बाद अब ओवैसी अकेले ही मैदान में उतर चुके हैं और यह माना जाता है कि ओवैसी मुस्लिम वोट काट कर राजद का ही नुकसान करेंगे।
बिहार विधानसभा चुनाव में बिहार की नई राजनीतिक समीकरणों के अनुसार तेज प्रताप यादव, पीके, आप और ओवैसी के मैदान में उतरने की वजह से सबसे अधिक नुकसान राजद का होता हुआ दिख रहा है। राजद के वोटों के इस बिखराव का फायदा सीधे सीधे NDA को मिल सकता है। खैर यह देखने वाली बात होगी कि विधानसभा चुनाव में NDA और महागठबंधन में से कौन जीत सकता है और किसका पत्ता कटता है। हालांकि यह साफ है कि हारने वाली पार्टी को सबसे अधिक नुकसान इन लोगों की वजह से ही होगी।
मंजेश कुमार