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मध्य प्रदेश में जलवायु वित्त जुटाने पर भोपाल में कार्यशाला का आयोजन

मध्य प्रदेश में जलवायु वित्त जुटाने पर भोपाल में कार्यशाला का आयोजन

Workshop on mobilizing climate finance in Madhya Pradesh org
मध्य प्रदेश में जलवायु वित्त जुटाने पर भोपाल में कार्यशाला का आयोजन- फोटो : Darsh News

भोपाल: मध्य प्रदेश की कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों, असमय वर्षा से लेकर भीषण सूखे का लगातार सामना कर रही है। हाल ही में जारी की गई राज्य जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (SAPCC) राज्य की संवेदनशीलता को रेखांकित करती है, जिसमें आठ जिलों — सिंगरौली, झाबुआ और बड़वानी सहित को अत्यधिक जलवायु-संवेदनशील और 17 अन्य जिलों को उच्च-संवेदनशीलता श्रेणी में रखा गया है । इसके मद्देनज़र, जलवायु परिवर्तन कार्य योजना सार्वजनिक, निजी और मिश्रित स्रोतों से जलवायु वित्त जुटाने की अनुशंसा करती है ताकि इन बढ़ते जोखिमों का समाधान किया जा सके।

राज्य की विकास प्राथमिकताओं के अनुरूप जलवायु वित्त समाधान विकसित करने और राज्य स्तरीय जलवायु वित्त रणनीति तैयार करने के उद्देश्य से, डब्ल्यूआरआई इंडिया ने पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) और क्लाइमेट पॉलिसी इनिशिएटिव (CPI) के सहयोग से बुधवार को भोपाल में “Mobilizing Climate Finance for Resilient Growth in Madhya Pradesh”  विषय पर सम्मेलन का आयोजन किया। शासकीय विभाग, शोध संस्थानों, वित्तीय संस्थानों, अकादमिक संगठन और अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने राज्य के जलवायु वित्त परिदृश्य, जलवायु- अनुकूल विकास के लिए व्यावहारिक रणनीतियों और प्रमुख क्षेत्रों में उभरते अवसरों पर चर्चा की।

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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव अशोक बर्नवाल ने कहा कि जलवायु वित्त अब उन राज्यों के लिए सबसे महत्वपूर्ण सक्षम साधनों में से एक बन गया है, जो मध्य प्रदेश की तरह बढ़ते जलवायु जोखिमों का सामना कर रहे हैं| इस विकास पथ को उच्च-उत्सर्जन मार्ग पर जाने से रोकने के लिए हमें जलवायु वित्त तक पहुंच को मजबूत करना होगा और सभी क्षेत्रों में नीतिगत रूप से सक्षम परियोजनाएँ विकसित करनी होंगी। विभागों के बजट अभ्यासों में जलवायु वित्त को शामिल करना आवश्यक है, और इसके लिए उच्च  गुणवत्ता की परियोजनाएँ अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हमें न केवल शासकीय विभागों और निजी क्षेत्र, बल्कि आम जन की क्षमताओं की वृद्धि और उनकी संवेदनशीलता बढ़ाने की भी आवश्यकता है। मिशन लाइफ इस दिशा में एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक साबित हो सकता है।

एप्को के कार्यपालन संचालक दीपक आर्या ने कहा कि हाल ही में जारी किया गया राज्य जलवायु परिवर्तन कार्य योजना एक महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत है, लेकिन वित्तीय अंतर अब भी बहुत बड़ा है अनुकूलन और शमन प्रयासों के लिए लगभग 97,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता का अनुमान है। केवल सार्वजनिक बजट इस अंतर को पूरा नहीं कर सकते, इसलिए राज्य में प्रभावी जलवायु कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए निजी निवेश, मिश्रित वित्त, कार्बन बाज़ारों और बहुपक्षीय जलवायु कोषों को जुटाना अत्यंत आवश्यक है । एप्को प्रत्येक हितधारक को उच्च गुणवत्ता की परियोजनाएँ विकसित करने और उपलब्ध जलवायु वित्त अवसरों का लाभ उठाने के लिए हर प्रकार का सहयोग प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जलवायु परिवर्तन ज्ञान प्रबंधन केंद्र के समन्वयक लोकेन्द्र ठक्कर ने कहा कि एप्को ने विभिन्न वित्तपोषण योजनाओं का उपयोग करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं और राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन पर रणनीतिक ज्ञान मिशन (NMSKCC), राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) और सेंटर फॉर क्लीन एयर पॉलिसी (CCAP) के तहत सफलतापूर्वक धनराशि जुटाई है, जिसके माध्यम से उप-राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु कार्रवाई और परियोजनाओं को लागू किया गया है। वर्तमान वैश्विक जलवायु रूपरेखा के संदर्भ में, एप्को ज़्यादा से ज़्यादा वित्तीय अवसरों का लाभ उठाने की दिशा में कार्य करता रहेगा और आगामी दीर्घकालिक न्यून -कार्बन विकास रणनीति तथा संशोधित राज्य जलवायु परिवर्तन कार्य योजना के क्रियान्वयन के लिए सभी हितधारकों और सरकारी विभागों को बैंक योग्य परियोजनाएँ विकसित करने में सहयोग प्रदान करेगा।

डब्ल्यूआरआई इंडिया के एसोसिएट प्रोग्राम डायरेक्टर सारांश बाजपेयी ने अपने कहा कि सब-नेशनल क्लाइमेट फाइनेंस को मजबूत करना अति आवश्यक है, क्योंकि राज्यों की अहम भूमिका है कि वे इसे लागू करने में आगे आएं और यह सुनिश्चित करें कि क्लाइमेट एक्शन समुदायों और संवेदनशील इलाकों तक पहुंचे। फसल उत्पादन में एक बड़ा योगदान देने वाले और देश में सबसे ज़्यादा जंगल और पेड़ वाले इलाके के तौर पर मध्य प्रदेश को ज़मीन के उपयोग में जलवायु के परस्पर बदलावों को आगे बढ़ाने में अधिक जोखिम का सामना करना पड़ता है।

मध्य प्रदेश में जलवायु वित्त परिदृश्य पर चर्चा की पृष्ठभूमि प्रस्तुत करते हुए जलवायु वित्त WRI इंडिया प्रोग्राम लीड नेहा मिश्रा ने कहा कि सार्वजनिक, निजी, अंतरराष्ट्रीय और मिश्रित स्रोतों से जलवायु वित्त जुटाना समृद्ध मध्य प्रदेश @ 2047 के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अनिवार्य है । आगामी जलवायु से संबंधित कार्यों के लिए सही पूंजी, मजबूत परियोजना क्षमताएँ और ठोस नीतिगत समर्थन जरूरी हैं। एप्को के नेतृत्व में राज्य जिस प्रकार समन्वित प्रयास कर रहा है, वह प्रभावी जलवायु कार्रवाई की शक्ति को दर्शाता है, और डब्ल्यूआरआई इंडिया राज्य के साथ इस महत्वपूर्ण कार्य में सहयोग करते हुए हर्षित है। तकनीकी सत्रों में सतत कृषि, वानिकी, जलवायु-अनुकूल क्रियाएं और शहरी प्रणालियों के लिए उपयुक्त वित्तीय समाधानों पर चर्चा की गई। कार्यक्रम का समापन इस आग्रह के साथ हुआ कि मध्य प्रदेश के लिए ऐसे  जलवायु वित्त रणनीतियाँ विकसित की जाए जो आर्थिक रूप से मजबूत होने के साथ-साथ जलवायु-अनुकूल भी हो।

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